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उदयपुर-उदयपुर जिले के गोगुंदा और झाडोल ब्लॉक में लगातार लेपर्ड के हमलों को लेकर ग्रामीणों में विरोध है। आज उदयपुर में देहात कांग्रेस ने कलेक्ट्रेट पर धरना देकर प्रदर्शन किया। राज्य सरकार पर नेताओं ने हमला बोला और कहा कि वे जनता की मदद नहीं कर पा रहे है। धरने के बाद कलेक्ट्रेट पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए शहर अध्यक्ष फतहसिंह राठौड़ बैरिकेड्स पर चढ़ गए। इस दौरान कांग्रेस ने मृतकों के परिवारजनों ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन भी दिया।
कांग्रेस नेताओं ने कहा- किसी के बच्चे की, किसी की मां तो किसी की पत्नी और पिता की जान जा रही है लेकिन वन विभाग लेपर्ड को पकड़ने में नाकामयाब रहा। लेपर्ड उसके उलट इंसानों पर हमले करता ही जा रहा है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि आदमखोर लेपर्ड के हमले में जिनकी जान गई। उनके परिवार को अभी तक उचित मुआवजा भी नहीं मिला है।
धरना स्थल पर गोगुंदा से आने वाले कांग्रेस के पूर्व देहात जिलाध्यक्ष लालसिंह झाला ने कहा- लेपर्ड के लगातार हमले इंसानों पर हो रहे है लेकिन वन विभाग अभी तक बरसों से वहां रहने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर कोई रास्ता नहीं निकाल सका और न लेपर्ड को पकड़ सकें। झाला ने कहा कि जिन परिवारों के घरों में मौत हुई है उनको मुआवजा भी नहीं दिया गया
पूर्व मंत्री और गोगुंदा के पूर्व विधायक डॉ. मांगीलाल गरासिया ने कहा- दो सप्ताह से ज्यादा समय हो गया है लेकिन अभी तक लेपर्ड को नहीं पकड़ सकें। उन्होंने कहा कि लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है लेकिन सरकार ने इसको गंभीरता से नहीं लिया है।
उदयपुर के पूर्व सांसद रघुवीर सिंह मीणा ने कहा- लेपर्ड को लेकर इस तरह की घटनाएं बढ़ी है तो सरकार और वन विभाग को इसकी तह में जाना चाहिए और सबसे पहले इन गांवों में खौफ में जी रहे लोगों को संबल देते हुए उनकी जान बचाए।
धरने में उदयपुर देहात जिला कांग्रेस अध्यक्ष कचरू लाल चौधरी, शहर अध्यक्ष फतहसिंह राठौड़, लोकसभा के कांग्रेस के प्रत्याशी ताराचंद मीणा, मावली विधायक पुष्करलाल डांगी, कांग्रेस नेता जगदीशराज श्रीमाली, वल्लभनगर की पूर्व विधायक प्रीति गजेंद्र सिंह शक्तावत, उदयपुर ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी रहे विवेक कटारा, दिनेश श्रीमाली, पंकज शर्मा, नजमा मेवाफरोश, डॉ. संजीव राजपुरोहित, टीटू सुथार, रामसिंह चदाणा सहित गोगुंदा और बड़गांव ब्लॉक के कांग्रेसी कार्यकर्ता भी शामिल हुए। झाला ने कहा कि प्रत्येक मृतकों के परिवार को 50-50 लाख रुपए का मुआवजा देते हुए एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।