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उदयपुर-मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में दो दिन पहले मंत्रिमंडल की बैठक में राजस्थान में धर्मांतरण विरोधी बिल को मंजूरी देने को लेकर उदयपुर के सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने बयान जारी किया है। उन्होंने कहा- आदिवासियों के हिंदू नहीं होने का भ्रम फैलाकर धर्मांतरण के प्रयासों को तगड़ा झटका लगेगा।
सांसद ने कहा- वे लंबे समय से चाहते थे कि यह बिल आए और इसके लिए वे प्रयास भी कर रहे थे। धर्मांतरण विरोधी बिल का दक्षिणी राजस्थान पर व्यापक असर दिखेगा। इस तरह का बिल जरूरी था क्योंकि इसके पीछे मूल कारण यही था कि पिछले कुछ सालों में इस जनजाति क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय साजिश के तहत आदिवासी संस्कृति पर लगातार हमले हो रहे थे।
उन्होंने कहा- इस क्षेत्र में तेजी से पनपी भारतीय आदिवासी पार्टी के नेता सार्वजनिक रूप से आदिवासी हिंदू नहीं है। आदिवासी युवतियां, महिलाएं मांग में सिंदूर नहीं भरें। गले में मंगल सूत्र नहीं पहने इस तरह की बातें कह धर्मांतरण के लिए उकसा रहे थे।
लोकसभा में गूंजा था मामला
दक्षिणी राजस्थान में बाप पार्टी नेताओं के आदिवासी संस्कृति पर हमले किए जाने की घटनाओं के बाद सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने लोकसभा में यह मामला उठाया था। जिस पर केंद्रीय कानून मंत्री ने संविधान का हवाला देते हुए कहा था कि आदिवासी हिंदू ही है।
बिरसा मुंडा जनजाति गौरव कार्यशाला के जरिए रखी नींव
रावत ने कहा- भाजपा के प्रदेश प्रभारी डॉ. राधा मोहन अग्रवाल व प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व दिल्ली में सांसद रावत के साथ महत्वपूर्ण बैठक की थी। उदयपुर संभाग प्रभारी व भीलवाड़ा सांसद दामोदर अग्रवाल भी उपस्थित थे। सांसद डॉ. रावत ने उन्हें दक्षिणी राजस्थान में धर्मांतरण की प्रमुख समस्या से अवगत कराया था। साथ ही जनजाति समाज की जागृति व अधिकारों के लिए कार्ययोजना रखी थी।
बाद में दौरा कर जागरूक किया
प्रदेश प्रभारी व प्रदेशाध्यक्ष ने कुछ दिनों बाद इस क्षेत्र का दौरा किया। उन्हें उक्त कार्ययोजना को शीघ्र धरातल पर उतारने की जरूरत महसूस हुई। सांसद डॉ. मन्नालाल रावत को इन कार्यशालाओं का संयोजक मनोनीत किया। उदयपुर बांसवाड़ा में इन कार्यशालाओं के जरिए आदिवासी समाज को अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक किया। आदिवासी हिंदू हैं। हम एक हैं। न बंटेंगे, न कटेंगे की शपथ लेकर आदिवासी समाज धर्मांतरण के खिलाफ उठ खड़ा हुआ था।