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टोंक-पाकिस्तान से भारत आने वाले लोगों को आवंटित की गई भूमि का फर्जी दस्तावेज से खरीद-फरोख्त करने के मामले की जांच रही है। वहीं अब फर्जी दस्तावेज से जमीन नाम कराने का मामला दूनी थाने में दर्ज कराया गया है। पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है। ऐसे में राजस्व विभाग की गड़बड़ भी सामने आने लगी है कि गवाह के आधार पर ही जमीनों का पंजीयन किया जा रहा है। इसमें पटवारी की ओर से सत्यापन नहीं किया जा रहा है।
जांच का दायरा भी अब पटवारी से लेकर राजस्व विभाग तक होने लगा है। गौरतलब है कि गांव में जमीन खरीद-फरोख्त मामले की रिपोर्ट पटवारी की ओर से बनाई जाती है। इसके बाद उपरजिस्ट्रार की ओर से कई जांच के बाद रजिस्ट्री की जाती है। लेकिन टोंक में लगातार आ रहे मामलों में ऐसा नहीं हो रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि गड़बड़झाला जिले की सभी तहसीलों में है। जहां जमीनों को दस्तावेज की सही तरीके से जांच किए बिना पंजीयन किया गया।
नोटिस भी तामील नहीं कराए
न्यायालय के इस्तगासे पर दूनी पुलिस ने तहसीलदार, भू-अभिलेख निरीक्षक समेत आठ जनों के खिलाफ धोखाधड़ी से जमीन किसी अन्य के नाम करने का मामला दर्ज किया है। मामला दूनी निवासी गणेश पुत्र छोटूलाल, हेमराज पुत्र गणेश, बंटी पुत्र रामस्वरूप भील, सीताराम पुत्र मोहन रैगर, भू-अभिलेख निरीक्षक शंकरलाल मीणा, तहसील तामील कुलिंदा हेतराम मीणा, देवली उपखण्ड न्यायालय के रीडर सुरेन्द्र कुमार व दूनी तहसीलदार के खिलाफ दर्ज हुआ है।
पीड़ित दूनी निवासी मुकेश पुत्र गंगाराम माली की ओर से न्यायालय में दायर किए इस्तगासे से दर्ज हुए मामले में बताया कि बंटवारे का प्रार्थना-पत्र पेश किए जाने के बाद बिना नोटिस तामील कराए फर्जी दस्तावेज तैयार करा जमीन गणेश माली के नाम कर दी। पुलिस अब मामले की जांच कर रही है।