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पंडित भरत ओझा लुणावा बाली
जालोर-मार्गशीर्ष शुक्ला पूर्णिमा रविवार यानी 15 दिसंबर की रात 10.11 बजे से शुरु होकर माघ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा नए साल में 14 जनवरी 2025 को सुबह 8.56 बजे तक धनु संक्रांति काल रहेगा। इस काल को मलमास या खरमास कहते हैं। इस अवधि में मांगलिक कार्य करने की मनाही है। ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित अंबालाल व्यास ने बताया कि मलमास के दौरान मांगलिक कार्य जैसे शादी-विवाह, उपनयन संस्कार, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, वास्तु-मुहुर्त, वाहन क्रय, दस्तूर, मुंडन संस्कार समेत शुभ कार्यों पर रोक रहेगी और 14 जनवरी 2025 को सुबह 8.56 बजे रवि दक्षिणायन से उत्तरायण होते ही यानि सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते ही मांगलिक कार्य शुरू होंगे।
क्या होता है मलमास : मल का अर्थ है अंधकार। सूर्य का प्रत्येक बारह राशियों में एक मास विचरण काल रहता है, इसे संक्रांति कहते हैं अर्थात कुल बारह संक्रांतियों होती है। जिसमें दो संक्रांति क्रमशः धनु व मीन संक्रांति होती है। सूर्यदेव धनु राशि में होते हैं तो धनु संक्रांति और सूर्यदेव मीन राशि में होते है तो मीन संक्रांति। ये दोनों संक्रांति काल को मलमास या खरमास कहते हैं। इन दोनों संक्रांति काल में मांगलिक कार्य की मनाही है। मलमास में इसलिए शुभ कार्य की मनाही पंडित व्यास ने बताया कि धनु व मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति है और जब सूर्य अपने गुरु के घर धनु राशि व मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो सूर्यदेव गुरु बृहस्पति की सेवा में व्यस्त हो जाते हैं।
इससे मांगलिक कार्यों में देवगुरु बृहस्पति एवं सूर्यदेव की उपस्थिति नहीं रहती है। नौ ग्रहों में से बृहस्पति एवं सूर्य दो प्रमुख ग्रह है, इसलिए मांगलिक कार्यों में देवगुरु बृहस्पति एवं सूर्यदेव की उपस्थिति नहीं रहने से शास्त्रों ने मांगलिक कार्य करने की अनुमति नहीं दी है, क्योंकि उनके बिना मांगलिक कार्य अपूर्ण रहता है। इसलिए मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है।