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खीमाराम मेवाडा
ख्वाबों की उड़ान: एक साधारण लड़के की असाधारण कहानी तखतगढ 27 दिसंबर;(खीमाराम मेवाडा) कहते हैं सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती और उन्हें पूरा करने के लिए संसाधनों की नहीं, हौसले की जरूरत होती है। इस कहावत को सच कर दिखाया पाली जिले के चेंडा गांव के सरकारी स्कूल में पढ़े 19 वर्षीय राकेश पटेल ने।
राकेश की जिंदगी आसान नहीं रही। बचपन में ही कुदरत ने अपने पिता को खो दिया। इस गहरे दुख ने उन्हें तोड़ने के बजाय और मजबूत बना दिया। बिना किसी सहारे के, उन्होंने अपने सपनों का पीछा करना जारी रखा और अपने काम पर ध्यान केंद्रित किया।
शुरुआत में परिवार से उन्हें खास समर्थन नहीं मिला। घरवालों ने उन्हें समझाया कि बाहर जाकर नौकरी करो, ताकि परिवार का सहारा बन सको। लेकिन राकेश ने अपने सपनों को नहीं छोड़ा। उनकी मेहनत और लगन को देखकर अब परिवार भी उनके साथ खड़ा रहा और उन्हें प्रोत्साहित करने लगे कि वे अपनी मंजिल तक पहुंचे। पिछले 10 महीनों से राकेश अपने साधारण एंड्रॉइड फोन के साथ फोटोग्राफी की दुनिया में अपनी पहचान बना रहे हैं। अपनी मेहनत और जुनून से अपने गांव की मिट्टी, वहां की संस्कृति और अपने ख्वाबों को तस्वीरों में कैद किया है।राकेश बताते हैं कि उनकी प्रेरणा का स्रोत यश चौधरी रहे हैं। यश ने न केवल राकेश को प्रेरित किया, बल्कि शुरुआती दौर में उनका साथ और मार्गदर्शन भी दिया। यह सहयोग और समर्थन राकेश के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। आज राकेश उन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो साधनों की कमी को अपने सपनों का बाधक मानते हैं। वे कोई भी नशा नहीं करते और केवल अपने काम पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उनका मानना है कि युवा पीढ़ी को नशे जैसी चीजों से दूर रहकर अपनी ऊर्जा अपने सपनों को पूरा करने में लगानी चाहिए। हाल ही में कोटा फेस्टिवल में जिला कलक्टर रविंद्र गोस्वामी ने उन्हें प्रशस्ति पत्र और पारितोषिक देकर सम्मानित किया।
राकेश कहते हैं, “सपने देखने के लिए बड़े शहरों या महंगे साधनों की जरूरत नहीं। अगर आपके पास जुनून और मेहनत है, तो आपकी राहें खुद-ब-खुद बनती चली जाएंगी।यह कहानी इस बात का सबूत है कि छोटे गांवों में भी बड़े ख्वाब जन्म लेते हैं और मेहनत से उन्हें हकीकत में बदला जा सकता है।