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खीमाराम मेवाडा
नारी पर अत्याचार हमारे पतन का कारण बनता है,जयतीर्थ दास
तखतगढ 23 अगस्त;(खीमाराम मेवाडा) तखतगढ़ के वृंदावन वासी श्रीमद् भागवत कथा प्रवक्ता जयतीर्थ दास जी ने रायचूर कर्नाटक में कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष में आयोजित हो रहे श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कहा की देश और समाज को हम कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। उन्होंने बताया नारी साक्षात लक्ष्मी का रूप होती है। कौरवों ने द्रौपदी का चीर हरण किया, कुल सहित नष्ट हो गए. रावण ने सीता जी का अपहरण किया, सोने की लंका सहित नष्ट हो गया. आज देश में नारी सुरक्षित नहीं है।.नारी पर जो अत्याचार हो रहा है। वह हमारे पतन का कारण बनता है।
भागवत हमें कूटनीति राजनीति सब कुछ सिखाती है। किसी समाज या देश के उत्थान एवं प्रगति में उसकी संस्कृति एवं सभ्यता का बहुत बड़ा योगदान होता है। यदि उस समाज या राष्ट्र का नाश करना है तो वहां की संस्कृति को नष्ट कर दो यह मनोवैज्ञानिक एवं कूटनीतिक तथ्य एवं सत्य कंस के मंत्रिमंडल ने उजागर किया है। दुष्ट विचार एवं दुष्टो के वार्तालाप में भी यदि हमें कुछ अच्छा ज्ञान सार्थक संदेश मिलता है। तो उसे ग्रहण कर लेना चाहिए.कंस की बुद्धि तो बिगड़ी हुई थी फिर मंत्री भी उसे दुष्ट ही मिले थे। अतः एवं कंस ने राक्षसों को संत महात्माओं एवं संस्कृति एवं सभ्यता को नष्ट करने का, हिंसा करने का आदेश दे दिया। आज समाज में सब कुछ यही हो रहा है। श्री मद् भागवत दसवें स्कंध के चतुर्थ अध्याय के अंत में शुकदेव जी ने परीक्षित महाराज को दुष्ट जनों से सावधान करते हुए कहते हैं। हे परीक्षित! जो लोग महान संत पुरुषों का,नारी का अनादर करते हैं। उनका वह कुकर्म उनकी आयु, लक्ष्मी, कीर्ति, धर्म ,लोक परलोक, विषय भोग और सब के सब कल्याण के साधनों को नष्ट कर देता है।