PALI SIROHI ONLINEखीमाराम मेवाडाअसुर चाहे कितना ही वत्सल क्यों ना हो उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए, जयतीर्थ दासतखतगढ 24 अगस्त;(खीमाराम मेवाडा) तखतगढ़ के वृंदावन वासी जयतीर्थ दास जी ने रायचूर कर्नाटक में कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष में श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव की लीला सुनाते हुए बताया कि क्रूर कंस ने आकाशवाणी में देवकी के आठवें पुत्र के द्वारा अपनी मृत्यु का समाचार सुना तो तुरंत उसने अपनी तलवार निकाली और अपनी बहन के बाल पड़कर उसके सिर को धड़ से अलग करने के लिए तैयार हो गया इस से पूर्व वह अपनी बहन का रथ हाक रहा था।असुर चाहे कितना ही वत्सल क्यों ना हो उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि वे निजी हित के लिए घृणित से घृणित कार्य भी कर सकते हैं।कृष्ण के होने वाले पिता वसुदेव जी महापुरुष थे क्योंकि वे क्रूर व्यक्ति को शांत करना तथा कट्टर से कट्टर शत्रु को भी क्षमा करना जानते थे। कंस इतना क्रूर तथा ईर्ष्यालु था। कि वह निर्लज्जता पूर्वक अपनी बहन को भी मारने के लिए तैयार था. आज आसुरी प्रवृत्ति समाज को विनाश की ओर ले जा रही है, इसलिए बहन बेटियां सुरक्षित नहीं है। वैदिक नियमों के अनुसार ब्राह्मण, वृद्ध व्यक्ति, स्त्री, बालक या गाय का किसी भी स्थिति में वध नहीं करना चाहिए. स्त्री का वध करने से केवल पाप ही नहीं लगेगा अपितु उसकी कीर्ति पर भी कलंक लगेगा. वसुदेव जी ने अनेक प्रकार से कंस को आश्वासन दिलाने का प्रयास किया कि वह देवकी का वध ना करें. वसुदेव जी ने कहा कि हे। शूरवीर! जिसने जन्म लिया है। उसकी मृत्यु ध्रुव हैं। क्योंकि शरीर के ही साथ मृत्यु का भी जन्म होता है। कोई चाहे आज मरे या सौ वर्षों के बाद,किंतु प्रत्येक जीव की मृत्यु निश्चित है।जिसने भी जन्म लिया है। उसकी मृत्यु निश्चित है।जब भौतिक शरीर काम के लायक नहीं रह जाता है। तो धूल बन जाता है। तुम धूल हो और अंत में धूल में मिल जाओगे. मृत्यु के समय आत्मा दूसरे शरीर में चला जाता है, शरीर की तुलना वस्त्र से की गई है.जैसे हम वस्त्र बदलते हैं। वैसे ही आत्मा, शरीर रुपी वस्त्र को बदलती है. कथा प्रवक्ता जयतीर्थ दास जी ने कहा कि कृपया इस देहांतरण की विधि को समझें, बुद्धि की चेतना को ऊपर उठाएं, जिससे हम मानव शरीर का लाभ कृष्णभावनाभावित बनने में लगा सके. कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर आप सभी अधिक से अधिक भगवान के पवित्र नाम का जप करें।