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खीमाराम मेवाडा
तम्बाकू,धुम्र युक्त और धूम्ररहित,का सेवन जीवन के लिए नरक साबित हो सकता है- डॉक्टर विक्रम सिंह
GYTS-2019) के अनुसार, 13-15 वर्ष की आयु के 8.4% छात्र वर्तमान में तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं
भारत में हर साल 13 लाख से ज़्यादा लोगों की जान लेता है
तखतगढ 18 नवम्बर (खीमाराम मेवाडा) TFYC-3.0 के अन्तर्गत हो रही स्क्रीनिंग के तहत सा. स्वा. केंद्र तखतगढ़, के दंत विभाग में प्री- कैंसर लीसन के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हाल ही में 2 मरीजों के मुँह का कैंसर भी डाइग्नोस हुए हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तखतगढ़ के
मुँह एव दंत रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विक्रम सिंह ने बताया कि तम्बाकू,धुम्र युक्त और धूम्ररहित,का सेवन जीवन के लिए नरक साबित हो रहा है। इससे छुटकार पाना बहुत जरूरी है। निः शुल्क परामर्श एवं तंबाकू से छुटकारा पाने हेतू TCC अथवा नजदीकी स्वास्थ केन्द्र पर डॉक्टर की भी मदद ले सकते हैं। चूंकि तंबाकू का उपयोग एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है। जो भारत में हर साल 13 लाख से ज़्यादा लोगों की जान लेता है। वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण (GYTS-2019) के अनुसार, 13-15 वर्ष की आयु के 8.4% छात्र वर्तमान में तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं। और औसतन केवल 10 वर्ष की आयु में ही तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू कर देते हैं।
उन्होंने बताया कि ओरल हेल्थ केवल मुँह की सफाई तक सीमित नहीं है। बल्कि यह हमारे पूरे शरीर के स्वास्थ्य से जुड़ी हुई है। इसलिए, मुँह की देखभाल करना जरूरी है। ताकि आप दीर्घकालिक बीमारियों से भी बचे रहें।
एक भी संक्रमित दांत दिल का दौरा, स्ट्रोक और यहाँ तक कि अल्ज़ाइमर का खतरा बढ़ा सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि शोध से पता चलता है। कि संक्रमित मसूड़ों और दांतों से बैक्टीरिया, जैसे कि पी. जिंजिवलिस और एफ. न्यूक्लिएटम, इत्यादि रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं और चुपचाप पूरे शरीर में फैल सकते हैं। जिससे इन्फ्लामेशन और अन्य बीमारी बढ़ सकती है।
(१) हृदय: मुँह के बैक्टीरिया धमनी में प्लाक के जमाव से जुड़े पाए गए हैं, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। जिन लोगों का मसूड़ों की बीमारी का इलाज नहीं होता, उनमें हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा काफी बढ़ जाता है।
(२) मस्तिष्क: अल्ज़ाइमर के मरीज़ों के मस्तिष्क में मुँह के बैक्टीरिया के अंश पाए गए हैं। इससे पता चलता है कि मसूड़ों के पुराने संक्रमण याददाश्त कम होने, मनोभ्रंश और यहाँ तक कि स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं।
(३) मधुमेह: मुँह के संक्रमण से रक्त शर्करा को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है, जबकि अनियंत्रित मधुमेह मसूड़ों की बीमारी को बढ़ा देता है – जिससे एक खतरनाक दोतरफा चक्र बन जाता है।
(४) गर्भावस्था: मसूड़ों की बीमारी के कारण समय से पहले जन्म, कम वज़न के बच्चे के जन्म और गर्भावस्था की जटिलताए हो सकती हैं, संभवतः मुँह से फैलने वाले भड़काऊ रसायनों के कारण।
(५) यह श्वसन संबंधी बीमारियों (जैसे सीओपीडी, निमोनिया इत्यादि) और गठिया संबंधी बीमारियों (जैसे रूमेटाइड आर्थराइटिस इत्यादि) से जुड़ा है, और ये दोनों ही एक-दूसरे को और बिगाड़ देते हैं।
(६) मुँह शरीर से अलग नहीं है – यह प्रवेश द्वार है। इसकी सुरक्षा करना बहुत ज़रूरी है।दिन में दो बार ब्रश करें। हर 6 महीने में दंत रोग विशेषज्ञ से चेकअप कराएं।शक्कर और जंक फूड का सेवन कम करें। धूम्रपान और तंबाकू से बचें ये सब हृदय, मस्तिष्क और पूरे शरीर की सुरक्षा के सबसे सरल और सबसे प्रभावी तरीकों में से हैं।
