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खीमाराम मेवाड़ा
विद्या भारती की और से संचालित आदर्श विद्या मंदिरों के तीन दिवसीय जिला आचार्य सम्मेलन का हुआ समापन
विद्या भारती विश्व का सबसे बड़ा शिक्षा संस्थान:प्रांत सह मंत्री भंवरलाल कानूनगो
तखतगढ 5 अगस्त;(खीमाराम मेवाडा) विद्या भारती की ओर से संचालित आदर्श विद्या मंदिरों के तीन दिवसीय जिला आचार्य सम्मेलन का समापन सोमवार को आदर्श विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक भीनमाल में हुआ। प्रबन्ध प्रमुख अमित व्यास ने बताया कि समापन सत्र में मुख्य वक्ता भेरूपाल सिंह कानूनगो सहमंत्री जोधपुर प्रांत, देयरामाराम बिश्नोई प्रांत मंत्री एकल विद्यालय,अजय कुमार गुप्ता जिला सचिव जालोर ने सरस्वती प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
तीन दिवसीय सम्मेलन का वृत्त आदर्श शिक्षण संस्थान जिला सचिव अजय कुमार गुप्ता ने प्रस्तुत किया। तीन दिवसीय आचार्य सम्मेलन में जालोर जिले के कुल 294 आचार्यों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। सम्मेलन में भारत माता पूजन, शाखा, अनिवार्य शारीरिक, योग, गतिविधि आधारित शिक्षण एवं सभी विषयों में शिक्षण प्रशिक्षण, सुलेख, स्पोकन इंग्लिश, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, सीखने के प्रतिफल, विद्या भारती अभिनव पंचपदी सहायक सामग्री आधारित शिक्षण कार्य जिसमें विज्ञान, गणित, आंग्ल, संस्कृत हिन्दी व सामाजिक विज्ञान, संगणक विषय व गतिविधि आधारित शिक्षण का प्रशिक्षण दिया गया। चर्चा सत्र में सहशैक्षणिक दायित्वों, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण में हमारी भूमिका, पांच आधारभूत विषयों शिक्षण प्रशिक्षण, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सीखने के परिणाम, 21 वीं सदी के कौशल आदि विषयों पर हुई।
मुख्य वक्ता विद्या भारती जोधपुर प्रांत सह मंत्री भेरूपाल सिंह कानूनगो ने
अखंड भारत की संकल्पना आचार्यों के समक्ष रखते हुए
देश को पुन विश्वगुरु व अखंड भारत बनाने का आह्वान किया। 1952 में गौरखपुर से शिशु मंदिर प्रारंभ होकर और आज विद्या भारती विश्व का सबसे बड़ा शिक्षा संस्थान है। सम्मेलन में आचार्यों के व्यक्तित्व विकास के साथ शारीरिक योग, संगीत, नैतिक व आध्यात्मिक संस्कृत पर्यावरण संरक्षण सामाजिक समरसता तथा क्रिया आधारित शिक्षा ऐसे अनेक बिंदुओं पर चर्चा के माध्यम से आचार्यों को अवगत करवाया जाएगा। तथा कहा, देशभक्ति सिर्फ विचार-विमर्श का विषय नहीं है, यह आचरण का विषय है। व्यक्ति के आचरण में जब देश हित का भाव निहित होगा, तब देशभक्ति के आचरण से ओतप्रोत समाज का निर्माण होगा। समाज को सुसंस्कृत, चरित्रवान, राष्ट्र के प्रति समर्पित और अनुशासित बनाने में परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका है।
हमें अपने परिवारों को भारतीय संस्कृति की मूल अवधारणाओं से जोड़कर समाज को सशक्त बनाया जाए। कुटुंब प्रबोधन के जरिए हमें समाज
के विभिन्न परिवारों के बीच बेहतर तालमेल, परस्पर सहयोग और सौहार्द कायम करने का प्रयास करें, जिससे समाज और देश मजबूत बन सके। शिक्षा समाज का विषय है। समाज को सक्रिय करने में पञ्च प्राण का महत्त्व है। पञ्च प्राणों में आचार्य, छात्र, पूर्व छात्र, अभिभावक एवं प्रबंध समिति शामिल है। छात्र की पृष्ठभूमि, वातावरण और उसकी रुचि को देखकर ही कार्य देना चाहिए। शिक्षा का कार्य देश व समाज का कार्य है। वर्तमान का समय देश का अमृत काल है।
आज भारत पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है। साधना से ही लक्ष्य प्राप्ति होती है। भारतीय संस्कृति का गौरव देश व दुनिया में बढ़ रहा है। हमारी स्वभाषा पर हमे गर्व होना चाहिए। सामाजिक भेदभाव नहीं करना चाहिए। स्वार्थ सिद्धी के लिए राजनीतिक शक्तियां समरसता पनपने नहीं दे रही है। भारतीय परिवार व्यवस्था सर्वोत्तम है। पर्यावरण की रक्षा व सुरक्षा सभी की जिम्मेदारी है। विद्याभारती के पांच आधारभूत विषयों से बालकों का विकास होता है। गुरू शिष्य की परंपरा को आगे बढ़ाना चाहिए। वर्तमान युग तकनीकी युग है। नवीन तकनीकी का प्रयोग सभी को करना चाहिए। शिक्षा के साथ में संस्कार होने से ही बालक का सर्वांगीण विकास होता है।
सम्मेलन में एक दिवसीय विषय प्रशिक्षण सरकारी प्राचार्य, शिक्षकों द्वारा किया गया जिसमें डॉ. अरुण दवे, कीर्ति वाजपेयी, विष्णुदत्त व्यास, हम्मीरदान चारण,पुखराज सोनी, श्रवण सोनगरा, का विशेष सहयोग रहा। समापन सत्र में गोविंद कुमार, ने काव्य गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर नगर संयोजक बालूराम चौधरी, जिला निरीक्षक नरेंद्र आचार्य, क्षेत्रीय संगणक प्रमुख रमाकांत दास, प्रधानाचार्य बिना शर्मा,नितिन ठाकुर, निर्मल सिंह, जयंतीलाल प्रजापत,महेंद्र प्रजापत,प्रमोद दवे,उर्मिला खंडेलवाल गजाराम गायत्री देवी,दिलीप दवे,ललिता सांखला,उत्तम बालोत, महावीर सिंह भाद्राजून, सुरेंद्र सिंह राठौड़,जिला सह संवाददाता रमेश कुमार दर्जी,भरत कुमार सहित जिले भर से आए हुए आचार्य बंधु भगिनी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रधानाचार्य विष्णु दान चारण ने किया।