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एक हजार साल पुरानी परंपरा , रघुनाथपीर की सवारी जलगाजी के लिए रवाना, जगह जगह हुआ स्वागत लोगों ने बरसाए पुष्प
सवारी को स्थानीय लोग सवारी के अलावा सेवा और गत नाम से भी पुकारते हैं
सादड़ी क्षेत्र लगभग एक हजार साल पहले एक संत के पैदल यात्रा करने के रास्ते से आज भी उनकी सवारी पारम्परिक रूप से निकाली जाती है। देसूरी उपखंड के ढालोप गांव में स्थित रथुनाथपीर आश्रम के संत का नाम देशभर में श्रद्धा से लिया जाता है। उन्होंने सत्य,अहिंसा व मानव जाति के कल्याण का संदेश दिया। इसी के चलते उनके बड़ी संख्या में श्रद्धालु हुए। बाद में उनके उत्तराधिकारी भी पीर के रूप में ढालोप की गादी पर गद्दीनशीन होते गए। श्री रघुनाथ पीर फाल्गुन वदी 12 को ढालोप से रवाना होकर पैदल मार्ग से महाशिवरात्रि के दिन जरगाजी पहुंचे थे। तीन दिन की इस यात्रा में उन्होंने सादड़ी व कांबा में रात्रि ठहराव किया जाता हैं। ऐसी मान्यता है कि रघुनाथ पीर के पहुंचते ही वहां पर गंगा प्रकट हुई थी, जो आज भी रघुनाथपीर की सवारी के पहुंचते ही जल स्त्रोत के रूप में फूट पड़ती है, तब जाकर जरगाजी का मेला शुरू होता है। बताया जाता है कि रघुनाथपीर ने ढालोप ग्राम में भी दीवार को डेढ़ किलोमीटर से अधिक दूरी तक चलाया था, जिसके बाद उनके जरगाजी जाने की परम्परा को जीवित रखा गया। एक हजार से अधिक वर्ष बीत जाने के बाद भी उनके प्रति लोगों की श्रद्धा में कमी नहीं आई है, जिससे आज भी प्राचीन पैदल रास्ते से ही उनके उत्तराधिकारी पीर रघुनाथपीर की सवारी को जरगाजी ले जाते हैं। इस सवारी को स्थानीय लोग सवारी के अलावा सेवा और गत नाम से भी पुकारते हैं। जिस मार्ग से यह सवारी गुजरती है, हर गांव की यह जिम्मेदारी हो जाती है कि वह श्रद्धापूर्वक इसे अगले ग्राम तक पहुंचाएं। रास्ते में पड़ने वाले गावों से गुजरते समय सवारी पर फुल मालाएं चढ़ाने व दर्शन के लिए श्रद्घालुओं की भीड़ उमड़ जाती है। श्री रघुनाथपीर की जरगाजी सवारी को लेकर ढालोप गांव में स्थित रघुनाथपीर समाधि स्थल से एक दिन पहले बुधवार को सवारी मंदिर से बाहर आश्रम परिसर में लाई गई तथा रात्रि में भजन संध्या का आयोजन किया। वहीं बुधवार को सुबह रघुनाथपीर की रजत प्रतिमा को सिर पर उठाकर संतों के सानिध्य में भक्त जरगाजी जिला राजसमंद के लिए पैदल रवाना हुए। प्रज्जवलित ज्योति के साथ यह सवारी गिराली, वारा सोलंकियान, गुड़ा मांगलिया, मुठाणा होते हुए शीतला नाड़ी मार्ग से सांय सादड़ी पहुंची। यहां यह सवारी यात्री विश्राम मेघवालों का बड़ा में मेघवाल समाज के मोहल्ले में कर शुक्रवार की सुबह राजसमंद जिले के जरगा पर्वत पर स्थित जरगाजी मंदिर के लिए रवाना हुई। इस प्रकार यह परम्परा आज भी जीवित है।
ढालोप से 54 किमी पैदल चलकर महाशिवरात्रि के दिन जरगाजी पहुंचे थे रघुनाथपीर, इसी दिन शुरू होता है मेला
जिस मार्ग से यह सवारी गुजरती है, हर गांव की यह जिम्मेदारी हो जाती है कि वह श्रद्धापूर्वक इसे अगले ग्राम तक पहुंचाएं। इस दौरान जगह जगह लोगों ने रघुनाथपीर के दर्शन पूजा अर्चना कर खुशहाली की प्रार्थना की पुष्प वर्षा भी की । इस दौरान पूर्व पालिकाध्यक्ष शंकर लाल भाटी नेताप्रतिपक्ष राकेश मेवाड़ा राजाराम सोलंकी राजाराम मेघवाल हरीश भाटी रमेश प्रजापत कैलाश मेघवाल शंकर देवड़ा महेन्द्र दर्जी बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।