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खीमाराम मेवाडा
सुमेरपूर-समाधि स्थल पर दफनाए शव को लेकर आया नया मोड़
सिंदरु मे समाधि स्थल से शव को बाहर निकाल एसडीएम कुम्हार एवं एसपी जाट के निर्देश पर तहसीलदार ने मेडिकल बोर्ड से शव का करवाया पोस्टमार्टम
4 दिन पूर्व एक वृद्ध की मौत के बाद भतीजे ने जमीन विवाद के चलते जताई हत्या की आशंका समाधि स्थल से शव को बाहर निकाल पोस्टमार्टम करवाने की उठाई थी मांग
तखतगढ 9 जून;(खीमाराम मेवाडा) राष्ट्रीय राजमार्ग पुलिस थाना सांडेराव अंतर्गत सिंदरु गांव में समाधि स्थल पर दफनाए शव को लेकर नया मोड़ आया है। 4 दिन पूर्व यानी 5 जून को सिंदरू निवासी दीपाराम पुत्र गलाराम कुम्हार भोपाजी की मौत पर समाधि देने के बाद उनके भतीज नारायण लाल द्वारा जमीन विवाद के चलते चाचा की मौत पर हत्या की आशंका जताते हुए पुलिस थाना सांडेराव मैं 7 जून को रिपोर्ट पेश कर 76 वर्षीय उनके चाचा मृतक दीपाराम पुत्र गलाराम कुम्हार के शव को समाधि से बाहर निकालकर मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाने की मांग उठने के बाद जिला प्रशासन एवं उपखंड प्रशासन ने सतर्कता दिखाते हुए जिला कलेक्टर के आदेश पर सुमेरपुर उपखंड अधिकारी कालूराम कुम्हार एवं जिला पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में नियुक्त कार्यकाल मजिस्ट्रेट तहसीलदार दिनेश आचार्य सुमेरपुर द्वारा सोमवार को सांडेराव थाना अधिकारी गीता सिंह पुलिस एवं परिजनों सहित प्रार्थी एवं सैकड़ो ग्रामीणों की उपस्थिति में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा डॉ० महेन्द्र चौधरी सह. आचार्य फोरेन्सिक विभाग, डॉ० खेतमल पी,सहायक आचार्य पैथोलॉजी विभाग,डॉ० पंकज माथुर कनिष्ठ विशेषज्ञ मेडिसीन विभाग तीन डॉक्टरों की टीम द्वारा मेडिकल बोर्ड गठित कर सिंदरू गांव के शामलाती कुए पर समाधि स्थल पर पहुंच समाधि को उमेश वाल्मीकि, राजवीर सुमेरपुर द्वारा समाधि को खोद कर दफनाए गए दीपाराम के शव को बाहर निकाल टीम द्वारा मौके पर ही पोस्टमार्टम करवाकर पुनः शव का सुरक्षित भूमि दाह करवाया गया।
बाद विसरा रिपोर्ट जांच के लिए भेज दिया है। जिस की रिपोर्ट आने के बाद मौत या हत्या का खुलासा होगा। की स्वाभाविक मौत हुई या हत्या। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार भाइयों के बीच में जमीन का विवाद चल रहा था। जमीन का विवाद कोर्ट में विचाराधीन चल रहा है। शव को बाहर निकलते समय बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।
ये है पुरा मामला , सांडेराव पुलिस के अनुसार बताया गया कि 7 जून को प्रार्थी नारायणलाल पुत्र पकाराम कुम्हार निवासी सिन्दरू ने पुलिस थाना साण्डेराव मे उपस्थित होकर एक टाईपशुदा रिपोर्ट पेश की कि हम दो भाई मै व भंवरलाल है। पिताजी पकाराम के दो भाई स्व. कूपाराम व दूसरा दीपाराम थे। मेरे पिताजी व मेरे चाचा कूपाराम की पूर्व में मृत्यु हो हो चुकी है। मेरे काका दीपाराम की पत्नी की 1984 में मृत्यु हो चुकी थी, उनके कोई संतान नहीं हुई थी। हमारे दादाजी की जमीन में से भाई बंट में मेरे पिता, मेरे काका कूपाराम व मेरे काका दीपाराम को तीन हिस्सों में जमीन मिली थी। वर्ष 1983 में मेरे काका दीपाराम की पत्नी की मृत्यु होने बाद से वे हमारे साथ ही रहते थे। एवम उनके भरण पोषण भी मैं ही करता था। मै मुम्बई रहता हूँ। एवम काका दीपाराम गांव के नजदीक स्थित यहीं कुएं पर ही रहते थे। उनका खर्चा में ही देता था। पूर्व में इस वजह से मेरे काका दीपारामजी ने उनके हिस्से की खेती की जमीन की वर्ष 2014 में मेरे नाम से करवा दी थी।
किन्तु मेरे मुम्बई रहने से अभी तक उसका म्यूटेशन नहीं भरवाया था। मेरे काका उसी वहीं कुएं पर रहकर जमीन की देखरेख करते थे। बाद में मेरे छोटे भाई भंवरलाल ने मेरे काका दीपाराम को गुमराह कर करीबन डेढ दो वर्ष पहले मुझे बेची हुई जमीन की बख्शीश नामा स्वयं के नाम करवाकर फिर उसी जमीन की रजिस्ट्री उसकी पत्नी के नाम करवा दी। जिसका मुकदमा भी न्यायालय मे चल रहा है। बाद मैने दीपाराम को भरण पोषण व खर्चे के रूपये भेजना बंद कर दिया था। एवम दीपरामजी की जमीन स्वयं की पत्नी के नाम करवाने के बाद मेरे भाई भंवरलाल ने भी दीपाराम को खर्चे के रूपये देने बंद कर दिये। जिससे मेरे काका दीपाराम का भंवरलाल के साथ वाद विवाद खर्चे को लेकर चलता था। और वो भंवरलाल को कहते थे कि तुने धोखे से मेरी जमीन तुम्हारे नाम करवा ली है।
इस बात को लेकर भंवरलाल व मेरे काका दीपाराम के आपस मे पिछले कुछ महीनो से अनबन व विवाद चल रहा था। 26.मई.2025 को गुम्बई से सिन्दरू आया हुआ था। उस दौरान मेरे काका दीपाराम मुझे मिले और मूझे कहा कि मुझे भंवरलाल ने धोखे से मेरी जमीन उसके व उसकी पत्नी के नाम करवा दी। अब मुझे भंवरलाल से खतरा है कि वह व उसकी पत्नी कभी भी मुझे जान से मार सकते है। 3.जून.2025 की रात्रि के करीबन 12 बजे भंवरलाल ने मुझे फोन किया तब भंवरलाल के लडके कमलेश ने बताया कि दीपो बा बीमार होने से उन्हे सुमेरपुर अस्पताल लाये है डॉक्टर ने कहा कि उनकी मृत्यु हो गई है। व उनकी लाश सुमेरपुर अस्पताल की मोर्चरी में रखी है। मैने मेरे चचेरे भाई देवाराम को सिन्दरू फोन कर पूछा तब उसने बताया कि मुझे तो ऐसी कोई बात का पता नही है।
ना ही गांव में किसी को ऐसी बात का पता नही हैं। तब मे 4 जून की रात्रि को मुंबई से घर पहुंचा साथ मे चचेरे भाई कैलाश व दानाराम भी आए थे। 5 जून की सुबह मेरे भाई भंवरलाल आकर कहा कि काका की अस्पताल में मृत्यु हो गई है। उन्हे समाधि देनी है। जिस पर हम अंतिम संस्कार की व्यवस्था करने के बाद करीबन 11 बजे भाई भंवरलाल मेरे काका दीपाराम की बोडी लेकर सिन्दरू आया। व कहा कि बोडी घर मे नहीं ला सकते है। लाश में से बदबु आ रही हैं। फिर हमने कहा कि बोडी को घर पर लाओ वहां से रिति रिवाज अनुसार अंतिम संस्कार हेतु कुएं पर लेकर जायेंगे। तब भंवरलाल घर के दरवाजे तक एम्ब्युलेंश लेकर आया जो प्लास्टिक में बोडी बंद थी।
प्लास्टिक हटाकर मैने व समाज के लोगो ने देखा। तो बोडी से बदबु आ रही थी, व शरीर पर सफेद सफेद कीडे रेंग रहे थे। मैने भंवरलाल को कहा कि एक तारीख को जब मै मुम्बई गया तो काका बिल्कुल ठीक थे। अब 4 चार दिन में उनकी मृत्यु भी हो गई और उनकी बोडी में कीडे भी पड गये और तुमने गांव वालों को मृत्यु के बारे में भी नहीं बताया। और अभी भी सीधा बोडी ले जाकर गांव वालों को बताये बिना कुएं पर समाधि देने पर तुले हुये थे। उसके बाद हमारे काका को हमारी शामलाती कुएं पर समाधि दे दी गई। उस समय पुरे समाज के लोग कुएं पर आ गये थे जिन्होने लाश देखी थी। एवम लोगो ने कहा कि दीपाराम के बीमार होने व सुमेरपुर अस्पताल ले जाने की हमें भंवरलाल व उसके घर वालों ने कोई जानकारी नहीं दी थी। भंवरलाल व उसकी पत्नी की गतिविधियां भी संदिग्ध लग रही है। मुझे व मेरे परिवार के सभी लोगों को मेरे काका दीपाराम की मृत्यु पर शक है। भंवरलाल ने बिना पोस्ट मार्टम करवाये उनको समाधि दे दी है। निवेदन है कि मेरे काका दीपाराम के शव को बाहर निकाल पोस्टमार्टम करवाकर उनकी मृत्यु के कारणो का पता लगवाने की मांग की थी।


