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सिरोही-रिश्वत लेने के दोषी पाए गए सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के स्टेनो को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश के बाद भी प्रमोशन दिया गया है। एसीबी ने आरोपी को कोर्ट में पेश किया था। जहां 2012 में आरोपी को सजा सुनाई।
ब्यूरो ने आरोपी को सिरोही सेंट्रल कॉआपरेटिव बैंक के स्टेनो पद से बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए, लेकिन लापरवाही और अंधेरनगरी का आलम यह है कि सेवा से बर्खास्त करने के आदेश होने के बाद बावजूद आरोपी स्टेनो को प्रमोशन दिया गया। इतना ही नहीं, आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने से उसके हौंसले बुलंद हुए और आरोपी ने करोड़ों रूपए का गबन भी कर दिया।
मामले में सिरोही निवासी प्रवीण नाथ गोस्वामी ने सिरोही कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने बताया कि सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में तत्कालीन स्टेनो उमाशंकर दवे को रिश्वत लेने के मामले में एसीबी ने गिरफ्तार किया था। एसीबी ने चार्जशीट पेश की और कोर्ट ने 19.04.2012 में जुर्म प्रमाणित मानते हुए उमाशंकर को 1 वर्ष का कठोर कारावास के साथ 10 हजार रूपए के अर्थ दंड सुनाया। इसके बाद एसीबी के महानिदेशक कार्यालय से रिश्वत के आरोपी उमाशंकर दवे को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए।
ज्ञापन में प्रवीण नाथ गोस्वामी ने बताया कि आरोपी उमाशंकर दवे को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश जारी होने के बावजूद आज दिनांक तक कार्रवाई नहीं की गई। आरोपी ने अधिकारियों से मिलीभगत कर सेवा से बर्खास्त के आदेशों को मजाक बना दिया। बैंक प्रशासन ने उसे बर्खास्त करने की बजाय प्रमोशन देकर शाखा प्रबंधक बना दिया।
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गोस्वामी ने कलेक्टर से मांग की है कि आरोपी उमाशंकर दवे और बैंक में उनसे मिलीभगत करने वाले कार्मिकों की जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
मामले में सिरोही सेंटर कोऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक पूना राम चोयल का कहना हैं कि उन्हें इस बारे में कुछ दिन पहले ही पता चला है, इसकी जांच के आदेश जारी कर दिया है और 15 नवंबर तक कार्रवाई कर ली जाएगी।
आरोपी के पास ही थी खुद की जांच कोऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक पूराराम चोयल ने बताया कि इस मामले की फाइल ही उमा शंकर दवे के पास थी। भ्रष्टाचार निरोधक विभाग जयपुर से जितने भी पत्र आए। वह सब इसी के पास आते थे, इसलिए किसी को भी इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी थी।