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सीकर-खाटूश्यामजी बाबा श्याम की विशेष सेवा पूजा और तिलक श्रृंगार के चलते भक्तों को 7 नवंबर को दिनभर दर्शन नहीं हो सकेंगे। श्री श्याम मंदिर कमेटी के कोषाध्यक्ष कालू सिंह चौहान ने बताया कि श्री श्याम प्रभू की विशेष सेवा-पूजा व तिलक होने के कारण 6 नवंबर की रात्रि 10 बजे से 7 नवंबर की शाम 5 बजे तक पट्ट आम दर्शनार्थ बंद रहेंगे।
श्री कृष्ण ने दिया था वरदान
बाबा श्याम का इतिहास महाभारत काल की एक पौरानिक कथा से जुड़ा हुआ है। जिसमें श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर वीर बर्बरीक के शीश को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे श्याम नाम से पूजित होगा और तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा। एक बार खाटू नगर के राजा को सपने में मन्दिर निर्माण के लिए और वह शीश मन्दिर में सुशोभित करने के लिए कहा। इस दौरान उन्होंने खाटू धाम में मन्दिर का निर्माण कर कार्तिक माह की एकादशी को शीश मन्दिर में सुशोभित किया। वहीं मूल मंदिर 1027 ई. में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर द्वारा बनाया गया था। मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने ठाकुर के निर्देश पर 1720 ई. में मंदिर का पुनर्निर्माण कराया, तब से आज तक मंदिर की चमक यथावत है। मंदिर की मान्यता बाबा के अनेक मंदिरो में सर्वाधिक रही है। खाटूश्यामजी में स्थित बाबा श्याम का देश में इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां भगवान के केवल शीश की पूजा की जाती है। लोगों का विश्वास है कि बाबा श्याम सभी की मुरादें पूर्ण करते है और रंक को भी राजा बना सकते है।
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