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(सीकर)। ये करुण व्यथा किसी का भी कलेजा कंपा देने वाली है। एक महीने पहले ही आगरी के ढाणी रावजी से एक बेटा मजदूरी के लिए नागपुर निकला तो बूढ़े पिता को मानसिक विमंदित बहू के उपचार व परिवार के गरीबी से उबरने की कुछ आस बंधी थी। पर गुरुवार सुबह घर के बाहर आकर रुकी एक एंबुलेंस ने उसके सारे सपने गहरे सदमे में बदल दिए।
सरियों से छलनी उसी बेटे का शव एंबुलेंस से बाहर निकला तो वह सारी सुध ही भूल गया। चित्त में चिता सी सुलगती चिंताएं उसका दम घुटाने लगी। उस पर गरीबी का आलम ऐसा कि जेब में एंबुलेंस किराये के रुपए भी नहीं। पांच दिन पहले ही खेत को गिरवी रख चुके पिता को आखिरकार अपनी बकरियां भी गिरवी रखकर एंबुलेंस के 40 हजार रुपए चुकाने पड़े। ये नजारा देख हर किसी का मन विचलित हो गया।
दुर्घटना में शरीर में घुसे सरिये
मृतक रणवीर सोलंकी (42) एक महीने पहले महाराष्ट्र के नागपुर में मजदूरी के लिए गया था। 10 अक्टूबर को वह अपने साथी के साथ स्कूटी पर मजदूरी से घर लौट रहा था। तभी नागपुर-उमराव नेशनल हाइवे संख्या छह पर लोहे के सरियों से भरे वाहन टक्कर होने पर दोनों के शरीर में सरिये घुस गए। साथी की मौके पर तो रणवीर की मंगलवार देर रात मौत हो गई। जिसका शव गुरुवार को घर पहुंचा तो घर में कोहराम के साथ मोहल्ले में सन्नाटा पसर गया।
रेवड़ चराता है पिता, पहले खेत, फिर बकरियां रखी गिरवी
मृतक का पिता बाबूलाल रेवड़ चलाता है। पिछले साल चट्टान से गिरने के बाद से पैर भी साथ नहीं दे रहा। बेटे की हादसे की सूचना मिली तो पांच दिन पहले ही उसने खेत गिरवी रखकर दो लाख रुपए उपचार के लिए भेजे थे। गुरुवार को एंबुलेंस के रुपए नहीं होने पर उसे बकरियां भी गिरवी रखनी पड़ी।
तीन बच्चों का पिता था मृतक, पत्नी मानसिक विमंदित
मृतक रणवीर तीन मासूम बच्चों का पिता था। जिसमें बड़ा बेटा मोहित 13, विशाल 10 व सुमित आठ वर्ष का है। मंदबुद्धि पत्नी सीमा देवी का उपचार चल रहा है। ऐसे में चारों मां-बेटों व बूढ़ी पत्नी सहित पूरे परिवार का आर्थिक भार बाबूलाल के कंधों पर आ गिरा है। खराब हालत के चलते ग्रामीणों ने प्रशासन से परिवार की मदद की गुहार लगाई है।