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सीकर-दुख की दरिया में डूबी इस दुखिया मां की दर्दभरी दास्तां दिल दहलाने वाली है। उसके कलेजे में दबी कसक की कल्पना ही कलेजे को मुंह तक ले आती है। पर बेबसी के बोझ में दबी उस मां में कुछ भी कह पाने की ना तो सुध बची है और ना ही शब्द.. बचे हैं तो सिर्फ आंसू जो पति की याद में बहते रहते हैं और चिंताएं हैं जो गरीबी की आंच में चित्त में चिताओं की तरह सुलग रही है। ये मजबूर मां है दांता की परमेश्वरी देवी, जिसके उजड़े सुहाग के साथ ही घर में चूल्हे की आग भी बुझ गई है। कंगाली में भूख मिटाने की चिंता इस कदर कचौट रही है कि चार बच्चों के साथ वह सूने पड़े चूल्हे के पास ही बिलखती रहती है।
महाराष्ट्र में दीवार ढहने से हुई पति की मौत
परमेश्वरी के पति मोहनलाल की सोमवार को महाराष्ट्र के नासिक जिले में मजदूरी के दौरान दीवार ढहने से मौत हेा गई थी। उसका अंतिम संस्कार मंगलवार को गांव में ही किया गया। मृतक की 12 हजार रुपए मासिक आय से ही उसका पूरा परिवार जैसे-तैसे चल रहा था। अब परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
चार बच्चों का परिवार, आई समस्या
मृतक के दो बेटी व दो बेटे हैं। इनमें बेटियां 24 व 19 वर्ष की है तो बेटे 17 व 14 साल के हैं। परिवार के पास अब आय का कोई साधन नहीं है। हालात इस कदर बद्तर है कि जर्जर भवन में रहने के साथ अब वे दो वक्त की रोटी के लिए भी मेहरबानी के मुहताज हो गए हैं। ऐसे में परिजनों के साथ ग्रामीणों ने भी शासन- प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।
ग्रामीणों ने शुरू की मदद की मुहिम
परिवार को आर्थिक संबल देने के लिए अब ग्रामीणों ने मदद की पहल की है। इसके तहत ग्रामीणों ने राशि जुटाना शुरू किया है। ग्रामीण कमल सैनी ने बताया कि परिवार की मदद के लिए ग्रामीण 48 हजार रुपए जुटाए जा चुके हैं।