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सीकर-रक्षाबंधन की खुशियों के बीच एक परिवार से लाडले की विदाई गहरा दर्द दे गई। एक तरफ बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी सजाने के लिए रवाना होने लगी हैं। दूसरी तरफ एक बहन अपने इकलौते भाई की कलाई पर अब कभी राखी नहीं बांध पाएगी। परिवार को मिले गहरे दर्द के बाद भी आदित्य अब भी कई जिंदगियों को रोशन कर सकेगा। यह मार्मिक कहानी है दांतारामगढ़ इलाके के तूलिका चारणवास की अस्मिता बुरड़क व उसके परिवार की। जहां अस्मिता का 17 साल का इकलौता भाई आदित्य शुक्रवार को ब्रेन डेड घोषित होने के साथ ही संसार से विदा हो गया।
पिता ने पेश की मिसाल
इकलौते बेटे को खोने के बाद भी आदित्य के पिता जगदीश प्रसाद बुरड़क ने साहस व संवेदना का परिचय देते हुए आदित्य के अंग दानकर मानवता की मिशाल पेश की है। आदित्य का परिवार पिछले कई सालों से सीकर के नवलगढ़ रोड़ पर अपने रिश्तेदार के मकान में रह रहा था। आदित्य सीकर की एक निजी स्कूल और कोचिंग में 11वीं के साथ-साथ आईआईटी की तैयारी कर रहा था। उसकी बड़ी बहन अस्मिता (19) का कुछ समय पहले ही आईआईटी रुड़की में चयन हो गया था। 13 अगस्त को अचानक आदित्य घर की छत से नीचे गिर गया, जिससे उसके सिर में गंभीर चोट आई। परिजन आदित्य को सीकर के एक निजी अस्पताल में लेकर गए जहां से उसे तुरंत जयपुर रेफर कर दिया गया।
उसी दिन उसे जयपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां ब्रेन हेमरेज होने के कारण उसका इलाज चलता रहा, लेकिन 16 अगस्त को चिकित्सकों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। आदित्य के पिता जगदीश प्रसाद मेडिकल के पेशे से जुड़े हैं। उन्होंने अपने इकलौते बेटे को खोने के बाद अंगों को दान करने का निर्णय लिया। एम्स जोधपुर की टीम जयपुर के एक निजी अस्पताल में पहुंची और किडनी, लीवर, हार्ट, फेफड़े, यकृत आदि अंग लिए। शनिवार को आदित्य के पैतृक गांव तूलिका चारणवास में अंतिम संस्कार किया गया, जहां सीकर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ निर्मल सिंह, ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. नितेश शर्मा, डा. हरि सिंह नेहरा, डा. एचएस फगेड़िया आदि मौजूद रहे।
बहन की आंखे खोजती रही कलाई, मां की आंखें पथराई
रक्षाबंधन से पहले हुए इस हादसे ने पूरे परिवार की उम्मीदों के आदित्य को बुझा दिया। हादसे के बाद बहन अस्मिता की आंखें राखी के लिए भाई की कलाई को खोजती रही। वहीं मां सुगनी देवी की आंखे पथरा गई, लेकिन पिता जगदीश प्रसाद बुरड़क का आदित्य अस्त होते-होते भी कई जिन्दगियों को रोशन कर और समाज को नई प्रेरणा दे गया। जीणमाता सीएचसी प्रभारी डा. हरलाल फगेड़िया ने बताया कि आदित्य के स्वस्थ अंगों जैसे किडनी, लीवर, हार्ट, यकृत, फेफड़े आदि से कई लोगों कि जिन्दगियां बचाई जा सकेगी।