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खीमाराम मेवाडा
शिवगज-छावणी में 43 साल बाद समन्दर हिलोरने की रस्म निभाई, हजारो की संख्या में उमड़े ग्रामीण
तखतगढ 13 सितम्बर;(खीमाराम मेवाड) शिवगंज उपखंड क्षेत्र के छावणी में शुक्रवार को देवनागरी छावणी मैं समस्त 36 कॉम छावणी नगर वासियों के सानिध्य में 43 साल बाद धूमधाम के साथ समंदर हिलोरने की रस्म निभाई गई। समुद्र मंथन को लेकर अलसुबह से ही तालाब पर हजारों की संख्या में पाली जालौर सिरोही तीन जिलों के ग्रामीण क्षेत्र से शिरकत हुए रिश्तेदारों एवं स्थानीय लोगो ने उत्साह के साथ भाग लिया। सुबह 7:00 ही छावणी से ढोल नगाड़ों व गाजे बाजे के साथ सैकड़ो बहने अपने भाइयों के साथ सरोवर किनारे पहुँचे और सरोवर की परिक्रमा कर विभिन्न जहाँ पंडितो की मौजूदगी में विधि विधान मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना कर कार्यक्रम का आगाज किया गया।
सरोवर के चारो ओर परिक्रमा लगाई गई। महिलाएं मंगल गीतो की धुम मचा रही थी। वहीं दूसरी तरफ सरोवर में सैकड़ो बहनों ने अपने भाइयों के साथ पंडित के सानिध्य में विधि विधान के साथ सरोवर की पूजा का शुभारंभ कर पूजा अर्चना कर किया। बाद भाई बहनों ने मटकी पड़कर समुद्र हिलोरने के बाद भाइयों ने अपनी बहनों को चुनड़ी ओढाई तथा एक दूसरे को सरोवर का पानी पिला कर बहनों ने अपने भाइयों के लिए लंबी उम्र की कामना की ।
सभी घरों में रहता है खुशी का माहौल
समन्दर हिलोरने की परंपरा बहुत पुरानी है गांवो में इस दिन प्रत्येक घर में मेहमान होते हैं। महिलाएं राजस्थानी वेशभूषा में सज धज कर तैयार होती है मंगल गीत गाती हैं। सभी महिलाएं सिर पर मटका उठाकर गांव के सरोवर तक पहुँचती है।
भाई बहन को पानी पिलाता है
समंदर हिलोरने की रस्म के तहत भाई और बहन मटकी को हिलोरते है उसमें फिर पूरी तरह से पानी भर जाता है तो भाई बहन को उस मटकी से पानी पिलाता है और बहन भाई के लंबी उम्र की कामना करती है।
चार महीना तक करती है श्रमदान, समुद्र हिलारने की परंपरा को लेकर महिलाएं कार्यक्रम से पूर्व चार महीना तक सुबह प्रतिदिन सरोवर में श्रमदान करती है।
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