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सायला-सायला उपखंड की पोषाणा ग्राम पंचायत में रहने वाला दिव्यांग मोवाराम भील का परिवार आज भी सरकारी योजनाओं से पूरी तरह वंचित है। उसकी पत्नी ललिता देवी भी दिव्यांग है। परिवार में 2 छोटे बेटे सहित कुल 4 सदस्य हैं। हालात इतने खराब हैं कि न रहने को पक्की छत है, न राशन का गेहूं, न पीने का पानी और न ही पेंशन की सुविधा।
मोवाराम की पत्नी ने इशारों में अपनी पीड़ा बताई। आंखों में आंसू थे। जेठानी ने बताया कि मोवाराम कमठे पर मजदूरी करता है। बारिश या बीमारी में काम नहीं मिल पाता तो पड़ोसियों से मदद लेकर परिवार का पेट भरता है। 2014 में शुरू हुई स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर घर शौचालय योजना का लाभ भी इस परिवार को नहीं मिला। सरकार ने पोषाणा को खुले में शौच मुक्त घोषित कर रखा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी इस परिवार को घर नहीं मिला। लकड़ी और प्लास्टिक की झोपड़ी में रहना इनकी मजबूरी है।
9 साल पहले शुरू हुई उज्ज्वला योजना का लाभ आज दिन तक नहीं मिला : 1 मई 2016 को शुरू हुई उज्ज्वला योजना का लाभ भी ललिता देवी को नहीं मिला। आज भी चूल्हे पर रोटी पकाने को मजबूर हैं। दोनों पति-पत्नी विशेष योग्यजन की श्रेणी में आते हैं, लेकिन पेंशन योजना से भी वंचित हैं। जब सरपंच प्रतिनिधि रमेश गर्ग से बात की तो उन्होंने कहा कि मोवाराम के दस्तावेज नहीं बने हैं, इसलिए योजनाओं से नहीं जोड़ा जा सका। सवाल यह है कि क्या ऐसे गरीब परिवारों के दस्तावेज बनवाना पंचायत और प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है? मोवाराम और उसका परिवार हर सवाल का जवाब अपनी खामोशी से देता है।
^दस्तावेज बना हुआ है लेकिन उनके पास नहीं, किसी और के पास हैं। दस्तावेज मिलेंगे तो उनका खाद्य सुरक्षा योजना में जोड़ने का प्रयास करेंगे। अन्य योजना में भी जोड़ दिया जाएगा। कल मैंने पता कर लिया है। योजनाओं से शीघ्र जोड़ा जाएगा। – गौरव बिश्नोई, बीडीओ, सायला।


