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नटवर मेवाड़ा
सांडेराव । महिलाओं ने व्रत उपवास कर मनाई बच्छ बारस,गौमाता व बछड़े की पूजा कर परिवारजनों के लिए खुशहाली की मन्नतें मांगी। बछ बारस के दिन सुहागिनें करतीं हैं गायऔर बछड़े की पूजा करती है -हिरापुरी
*साण्डेराव-* स्थानीय नगर सहित आस-पास ग्रामीण क्षेत्रों में सुहागिन महिलाओं ने शुक्रवार को पौराणिक कथाओं के अनुसार गाय और बछड़े की पूजा कर चुनरी ओढ़ाकर लापसी खिलाकर अपने परिवार में वंश बढ़ाने के साथ खुशहाली की मन्नतें मांगी। इस दौरान ज्यादातर महिलाओं ने गौशालाओं में पहुंच गौमाता व बछड़े की पूजा कर चुनरी ओढ़ाकर गुड़ और लापसी खिलाई।महिलाओं ने मंदिरों में देव दर्शन कर बछ बारस की कथा सुनकर व्रत उपवास खोला।
*परिवार में वंश बढ़ाने को लेकर सुहागिन महिलाओं को करना चाहिए बछ बारस का व्रत उपवास- हिरापुरी*
पौराणिक कथाओं के अनुसार भादवा कृष्ण पक्ष की बारस का यह पर्व बछ बारस के नाम से जाना जाता है आज के दिन सुहागिन महिलाएं गाय और बछड़े की पूजा कर गौ माता को चुनरी ओढ़ाते है।आज के दिन गौ पूजन करने वाली ग्रहणी महिलाएं गाय का दूध,दही,गेंहू व चावल कुछ भी नहीं खाते हैं इनके बदले ज्यादातर महिलाएं बाजरे की रोटी तथा मोठ की सब्जी बनती है। व्रतधारी महिलाओं के घरों में आज चाकू से कोई सब्जी नहीं काटते पहले दिन सब्जी काट के रख देते हैं फिर भैंस का गोबर लाकर तालाब जैसे बनाते हैं जिनको ओघड़ा कहते हैं उसकी पूजा की जाती है जिसमें बेसन के लड्डू नारियल चढ़ाकर मोठ कच्चा दूध दही उस तालाब भरते हैं।ऐसी मान्यता है कच्चे दूध से तलाब करते हैं तो उसे गांव में बारिश अच्छी होती है और घर में भी भरा पूरा परिवार रहता है।ओगड़ें की पूजा करके जो भी मन्नत मांगी जाती है पुत्र कामना या बेटी बेटे की शादी तो आगडा हर मन्नतें पूरी करते हैं। इस दौरान व्रतधारी महिलाएं मिलकर गौ माता व गणेशजी की कथा सुनकर बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद लेते हैं।
शाम को जब गोधूलिक बेला होती है गाय घर पर आने वाली तो उससे पहले ही हम सब महिलाएं खाना खा लेती है उसके बाद खाना नहीं खाया जाता है।श्री मेवाड़ा क्षत्रिय कलाल समाज गोड़वाड़ की ललिता देवी मेवाड़ा,गीता देवी उमरवास, रेखा मेवाड़ा कितेला,अग्रवाल समाज की अर्चना बहन,तारा बहन,मीना बहन,फैंसी बहन ने गौशाला में गायों की पुजा कर अपने पति की लंबी उम्र व परिवार में खुशहाली की मन्नतें मांगी।