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रेवदर-गरीब परिवार और विधवा का जवान बेटा पिछले 7 साल से मानसिक रूप से विक्षिप्त है। परिवार की आर्थिक मजबूरी ऐसी कि बेटे को घर में लोहे की जंजीरों में बांध कर रखा है। रेवदर उपखंड के हाथल गांव के रहने वाले 37 वर्षीय भूदाराम मेघवाल की मानसिक स्थिति कई वर्षों से खराब है।
उसका भाई खंगारराम बताता है कि भूदाराम 11 साल पहले एकदम स्वस्थ था। माउंट आबू की एक होटल में कुक का काम करता था। अपनी ज़िंदगी हंसी खुशी बिताकर अपनी मां, एक भाई और दो बहनों के साथ रहता था, लेकिन अचानक से उसकी मानसिक स्थिति खराब हो गई।
परिवार के सदस्यों ने इलाज करवाया उसके बाद कुछ दिन तक ठीक रहा और वापस काम करने लगा, पर वापस उसका स्वास्थ्य इतना खराब होने लगा कि अपने पहने हुए कपड़े तक फाड़ देता था। परिवार ने जैसे तैसे 4-5 लाख रुपए लगाकर इलाज कराया, लेकिन इलाज के लिए और पैसे ना होने के कारण उसको लोहे की जंजीरों में जकड़कर रखने के अलावा कोई दूसरा रास्ता ही नहीं बचा।
उपखंड अधिकारी ने लिया संज्ञान
मानसिक रूप से बीमार होने की जानकारी गांव के समाजसेवी मोटाराम मेघवाल ने जीवन सारथी संस्थान के अध्यक्ष समाजसेवी बलवंत मेघवाल को दी, जिस पर यह मामला उपखंड अधिकारी के सामने पेश किया गया। उपखंड अधिकारी ने बीसीएमओ कार्यालय में कार्रवाई के लिए अवगत कराया। बीसीएमओ डॉ. एसएस भाटी ने तत्परता दिखाते हुए सीएमएचओ के सहयोग से इलाज के लिए जोधपुर मथुरादास माथुर अस्पताल रेफर करने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की।
गुरुवार को क़रीब 7 साल बाद जब भूदाराम को जंजीरो से छोड़ा गया तो जोर-जोर से चिल्लाने लगा। तब उसे व्यवस्थित तरीक़े से बांध कर बड़ी मुश्किल से जोधपुर के लिए परिवारजनों के साथ रवाना किया। इस काम में एम्बुलेंस चालक खेत सिंह और धर्मपाल का सहयोग रहा। इस दौरान संस्थान के प्रह्लाद ओड, राहुल जोशी सहित ग्रामीण उपस्थित रहे।