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रानी गाँव-हजारों लोगों की प्यास बुझाने वाला कुआं बना खतरे की घंटी
रानी गांव में सुकड़ी नदी पर स्थित पीएचडी विभाग के कुएं पर न ढक्कन, न सुरक्षा व्यवस्था
रानी उपखंड क्षेत्र के रानी गांव में सुकड़ी नदी पर स्थित पीएचडी (लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी) विभाग का कुआं इन दिनों गंभीर लापरवाही का प्रतीक बना हुआ है। यही कुआं गांव सहित आसपास के क्षेत्रों में हजारों लोगों की पेयजल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस महत्वपूर्ण कुएं पर आज तक न तो ढक्कन लगाया गया है और न ही किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था की गई है। खुले कुएं के कारण जहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, वहीं गंदगी के चलते पीने का पानी भी दूषित होने का खतरा बना हुआ है।
स्थानीय बी एल भाटी सहित लोगों के अनुसार कुआं खुला होने से उसमें आसपास की मिट्टी, पत्तियां, प्लास्टिक कचरा और अन्य गंदगी गिरती रहती है। कई बार जानवर भी इसके पास पहुंच जाते हैं, जिससे पानी की स्वच्छता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यही पानी बिना किसी विशेष फिल्टरिंग के गांव में सप्लाई किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि इस दूषित पानी के सेवन से बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। उल्टी, दस्त, बुखार और अन्य जलजनित बीमारियों का खतरा लगातार बना रहता है।
सबसे चिंता की बात यह है कि कुआं सुकड़ी नदी के किनारे स्थित होने के बावजूद पूरी तरह खुला पड़ा है। यहां आने-जाने वाले लोगों और बच्चों के लिए यह कुआं जानलेवा साबित हो सकता है। जरा सी चूक किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। इसके बावजूद पीएचडी विभाग और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि वे कई बार इस समस्या को लेकर संबंधित विभाग और अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिले हैं। मौके पर न तो ढक्कन लगाया गया और न ही सफाई की नियमित व्यवस्था की गई। ग्रामीणों ने मांग की है कि तुरंत कुएं पर मजबूत ढक्कन, चारदीवारी या लोहे की जाली लगाई जाए तथा पानी की नियमित जांच कराई जाए। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो हजारों लोगों की प्यास बुझाने वाला यही कुआं भविष्य में किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है।
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