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अलवर-अलवर के रामगढ़ MLA व राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय सचिव जुबेर खान (61) का शनिवार (14 सितंबर) सुबह 5:50 बजे निधन हो गया। अलवर शहर के निकट ढाई पेडी स्थित खुद के फार्म हाउस अंतिम सांस ली। रामगढ़ में आज शाम 5:50 बजे सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। करीब 15 दिन पहले ही डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। जुबेर खान का जन्म 1 अगस्त 1962 को हुआ था।
जुबेर खान के पिता बाग सिंह अलवर ग्रामीण में सिलीसेढ़ के पास माचड़ी गांव के रहने वाले थे। वह ग्राम पंचायत के सरपंच रह चुके थे। जुबेर खान 6 भाई हैं। रामगढ़ (अलवर) में नौगांवा रोड पर भी जुबेर का मकान है। अलवर शहर के ढाई पेडी में भी खुद का मकान है। यहां परिवार रहता है। जुबेर खान डेढ़ साल से बीमार थे। एक साल पहले लीवर ट्रांसप्लांट कराया था। लोकसभा के चुनाव में अधिक भाग-दौड़ से तकलीफ बढ़ गई थी। उसके बाद तबीयत बिगड़ती गई। आईसीयू में भर्ती रखा गया। करीब 15 दिन पहले मेदांता के डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। उसके बाद बीच-बीच में जयपुर ले जाकर इलाज कराया गया। बाद में ढाई पेडी (अलवर शहर) में खुद के घर में ही आईसीयू तैयार कराया था।
ये रहा जुबेर का राजनीतिक सफर
1990 में पहली बार रामगढ़ (अलवर) से कांग्रेस के टिकट पर MLA बने। जुबेर खान 25 साल 4 महीने की उम्र में पहली बार विधायक बने थे। 1993 में दुबारा एमएलए बने थे। इसके बाद NSUI के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रहे थे। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भी रहे थे। इसके बाद 2003 विधायक बने। इसके बाद विधानसभा मे सचेतक बने थे। 2008 में वो चुनाव हार गए थे। उनकी पत्नी को 2010 में जिला प्रमुख बनाया गया। इसके बाद 2012 में AICC के सचिव बने थे। 2013 में फिर विधानसभा का चुनाव हार गए। साल 2018 के चुनाव में उनकी पत्नी सफिया खान को कांग्रेस ने टिकट दिया और वो जीत गईं। जुबेर 2021 में मेवात विकास बोर्ड के चेयरमैन बने थे। 2023 में फिर जुबेर एमएलए बन गए थे।
MLA के दो बेटे
जुबेर के दो बेटे हैं। बड़ा आदिल (29) है। दूसरा आर्यन (26) है। दोनों एमबीए हैं। छोटे बेटे ने LLB कर दिल्ली में प्रैक्टिस शुरू की है।
प्रियंका गांधी के साथ यूपी में सक्रिय रहे थे
जुबेर खान जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी दिल्ली के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे थे। उस दौरान उनकी दिल्ली में रोड पर NSUI के पंपलेट लगाते समय राजीव गांधी से मुलाकात हुई थी। इससे प्रभावित होकर राजीव गांधी ने उनको एनएसयूआई का राष्ट्रीय सचिव बनाया था। तभी वे गांधी परिवार के नजदीक आ गए थे। इसी कारण उनको 1993 में टिकट दिया गया था। वे राजीव गांधी के साथ चार्टर में चुनाव प्रचार के दौरान खूब घूमे थे। राजीव गांधी के बाद उन्होंने यूपी में प्रियंका गांधी के साथ खूब काम किया है। प्रियंका गांधी के उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव रहने के दौरान जुबेर खान उनके साथ सह प्रभारी सचिव रहे थे।
विधानसभा में 200 विधायक एक साथ नहीं रहने का संयोग राजस्थान विधानसभा के नए भवन के बनने के बाद यह संयोग है कि यहां कभी एक साथ 200 विधायक नहीं रहे। किसी न किसी वजह से विधायकों की संख्या पूरी नहीं हुई। कभी विधायकों के निधन की वजह से, कभी जेल जाने की वजह से, कभी लोकसभा जीतने के कारण संख्या पूरी नहीं हुई है। इस बार भी यही संयोग हो रहा है। 5 विधायक सांसद बन गए और 2 विधायकों का निधन हो गया है।
7 सीटों के लिए होंगे उपचुनाव
जुबेर खान के निधन के बाद प्रदेश में 7 विधानसभा सीटें खाली हो गई हैं। अब 7 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव होंगे। पांच सीटें विधायकों के लोकसभा सांसद बनने के कारण खाली हुईं थीं। सलूंबर सीट बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा के निधन की वजह से खाली हुई थी। जुबेर खान के निधन के बाद विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या 65 रह गई है।