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फिरोज खान मंडार
राज्यसभा सांसद नीरज डाँगी ने राजसमन्द व पाली के बीच देसूरी की नाल पर एलिवेटेड रोड़ की मांग उठाई।
नई दिल्ली 05 अगस्त। राज्य सभा सांसद नीरज डांगी ने राज्य सभा में शून्यकाल के दौरान सदन में राजस्थान के उदयपुर, पाली, जैसलमेर व जोधपुर को जोड़ने वाले मुख्य राजमार्ग एस.एच.16 का एक घाट सेक्शन जो राजसमन्द जिले के गढ़बोर से देसूरी के मध्य 8 किलोमीटर का हिस्सा “देसूरी की नाल” पर एलिवेटेड रोड़ बनाकर व्यापारिक, धार्मिक, ऐतिहासिक महत्व के जिलों एवं अंतर्राष्ट्रीय सीमा जैसलमेर को जोड़ने और यहां लगातार हो रही जनहानि पर रोकथाम की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि इस ‘देसूरी की नाल में सन् 1952 से अब तक लगभग 1000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
नीरज डाँगी ने बताया कि व्यापारिक एवं सैन्य स्थल के महत्व का यह राजमार्ग राजस्थान के प्रमुख व्यवसाय मार्बल, ग्रेनाईट के प्रमुख नगरों उदयपुर, राजसमन्द, पाली, जोधपुर, जालौर, सिरोही, भीनमाल व माऊंटआबू तक जाने का मुख्य मार्ग है, जो कम दूरी व कम समय में व्यापार को बढ़ावा देता है एवं यह मार्ग गोमती चारभुजा-देसूरी होकर आगे गंतव्य तक जाता है। इसके अतिरिक्त यह मार्ग देसूरी की नाल उदयपुर को भारतीय सेना के अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर जैसलमेर से भी जोड़ता है। इस मार्ग का इस्तेमाल भारतीय सेना के वाहन भी उदयपुर-जैसलमेर के मध्यम करते हैं।
उन्होंने बताया कि धार्मिक महत्व के श्री रणकपुर मंदिर, श्री परशुराम महादेव मंदिर, श्रीचारभुजा नाथ जी मंदिर एवं श्रीनाथ जी मंदिर नाथद्वारा जैसे धार्मिक आस्था एवं अत्यंत मान्यता वाले स्थानों को जोड़ता है।
श्री डाँगी ने बताया कि ऐतिहासिक महत्व के ‘हल्दी घाटी जहां महाराणा प्रताप ने अपनी ताकत का लोहा मनवाया था, जहां हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा गया था वह प्रसिद्ध स्थल हल्दी घाटी भी इसी क्षेत्र में है। अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के समीप Unesco World heritage site विश्व प्रख्यात कुम्भलगढ़ दुर्ग भी यहीं स्थित है जिसकी दीवार The Great Wall of India विश्व में The Great Wall of China के बाद दूसरी सबसे बड़ी दीवार है।
उन्होंने देसूरी की नाल क्षेत्र में देश ही नहीं बल्की समूचे एशिया का सबसे बड़ा सड़क हादसा (देसूरी दुखांतिका) जिसमें 7 सितंबर, 2007 को इसी स्थान पर 108 लोगों की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि यहां पर प्रतिवर्ष भारतीय सेना के वाहनों सहित लगभग 100 लोंगों की सड़क हादसे में मौत होती है। इन हादसों में मार्बल व अन्य सामान की क्षति सहित प्रतिवर्ष व्यापारिकयों को करोड़ों रुपयों का नुकसान उठाना पड़ता है।
सांसद श्री डॉगी ने बताया कि देसूरी-चारभुजा के मध्य लगभग 8 किमी के इस घाट सेक्शन में 12 खतरनाक S व L सेक्शन के मोड़ है और 5 संकड़ी पुलियाओं पर खतरनाक ढलान है, जिसमें वाहनों की सांस हांफ जाती है और ब्रेक फेल हशेकर वाहन कभी चट्टानों से टकराते हैं तो कभी पास की 40 फीट गहरी खाई में गिरते हैं। देसूरी की नाल में सन् 1952 से अब तक 1000 से अधिक लोकों की मौतें हो चुकी है।
उन्होंने मांग की कि इस पर गंभीरता दिखाते हुए केन्द्र सरकार देसूरी की नाल में लगातार होती जनहानि पर ध्यान देते हुए यदि वहां पर एलिवेटेड रोड़ बनाई जाती है तो वर्षों से चला आ रहा मौतों का सिलसिला खत्म होगा एवं आसपास के क्षेत्र के आमजन व स्थानीय व्यापारियों की एक बड़ी समस्या का स्थाई निवारण हो सकेगा।