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राजस्थान-पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के समय बनाए 17 जिलों के अस्तित्व को लेकर फिर आशंका बढ़ गई है। प्रदेश की भजनलाल सरकार ने इन जिलों की विभिन्न विभागीय सोसायटियों से संबंधित राजस्व जमा करने और उनके काम स्वीकृत करने का अधिकार फिर पुराने जिलों के कलक्टरों को ही सौंप दिया है। वित्त विभाग की ओर से इस बारे में जारी आदेश 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा।
जानकारी में आया है कि अनेक नए जिलों में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) व सरकारी अस्पतालों से संबंधित राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी जैसी विभिन्न विभागीय सोसायटियों का गठन नहीं हो पाया है। इस कारण राज्य सरकार ने इनके कामकाज से संबंधित अधिकार पुराने मूल जिलों के कलक्टरों के पास ही बनाए रखने का निर्णय किया है।
राजस्थान के इन 17 जिलों के गठन की अधिसूचना पूर्ववर्ती सरकार के समय 5 अगस्त 2023 को जारी की गई थी। ऐसे में तत्कालीन सरकार ने 31 मार्च 24 तक इन कमेटियों के कामकाज व राजस्व से संबंधित जिम्मेदारी पुराने मूल जिलों के पास ही रखने का निर्णय किया था। यह व्यवस्था एक सितम्बर 23 से लागू की गई, जिसके अंतर्गत नए जिलों से आए राजस्व व उनके खर्चों से संबंधित विवरण पुराने मूल जिलों को अलग से रखने के निर्देश दिए गए हैं।
यह भी है कारण
हाल ही राज्य सरकार ने नए जिलों के संबंध में अध्ययन के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी ललित के पंवार की कमेटी बनाई है। इसकी रिपोर्ट आने में समय लगेगा। इस कारण नए जिलों की विभागीय सोसायटियों के पुनर्गठन का कार्य पूरा होने में अभी समय लगेगा।
क्षेत्राधिकार पहले की तरह ही
कुछ नए जिले एक से अधिक पुराने मूल जिलों से बने हैं, ऐसे में विभागीय सोसायटियों से संबंधित इस कार्य का क्षेत्राधिकार पूर्ववत ही पुराने मूल जिलों के पास बना रहेगा।