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पाली-कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी (देवउठनी एकादशी) से शुरू हुए विवाह मुहूर्त का सिलसिला अब और तेज होने जा रहा है। कारण कि सूर्यग्रह ने अपना घर बदल लिया है और तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में आ गया है।
नवंबर और दिसंबर में 15 दिन शुभ मुहूर्त हैं। पंडितों ने कहा कि इस माह नवंबर में 22, 23, 24, 25, 27, 29 और 30 नवंबर को विवाह के श्रेष्ठ मुहूर्त रहेंगे। इन तारीखों पर विवाह स्थलों पर खूब रौनक रहेगी। 22 से लेकर 30 नवंबर तक विवाह के लिए मैरिज गार्डन, धर्मशालाएं और होटलें पहले से ही बुक हैं। इन तिथियों के लिए 90% तक वैन्यू पहले ही बुक हो गए थे। पंडितों ने बताया कि सूर्य को ज्योतिष में आत्मा, मान-सम्मान, शक्ति और पिता का कारक माना जाता है। कुंडली में सूर्य की स्थिति शुभ होने पर व्यक्ति को मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। सूर्यदेव ने तुला से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर लिया है।
विवाह पंचमी भी 25 को मनेगी पंडितों ने कहा कि भगवान श्रीराम व माता जानकी का विवाह मार्गशीर्ष माह की पंचमी विवाह को हुआ था। जिसे विवाह पंचमी के नाम से मनाया जाता है। इस दिन को मिथिलांचल में उत्साह से मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार विवाहपंचमी के दिन भगवान राम वमाता सीता की पूजा करना शुभफलदायी होता है। वैवाहिक जीवन में सुख, सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भक्त इस दिन भगवानराम, माता सीता के विवाह का उत्सव मनाते हैं। इस दिन माता सीता को सुहाग की चीजें अर्पित करनी चाहिए। इस तिथि को गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरितमानस का लेखन पूर्ण किया था। इसलिए इस दिन रामचरितमानस का पाठ कर ना अत्यंत शुभ फलदायी है, जिससे सुख-समृद्धि व वैवाहिक जीवन में आनंद की प्राप्ति होती है। विवाह पंचमी तिथि 24 नवंबर को शाम 6:16 बजे शुरू होगी, समाप्ति 25 नवंबर रात 7:12 बजे होगी। उदयातिथि के अनुसार विवाह पंचमी 25 नवंबर को मनाई जाएगी। विवाह लग्न न होने के बावजूद, भगवान राम व माता सीता के विवाह को विवाहोत्सव के रूप में मनाना वैवाहिक जीवन में सुख, सौभाग्य लाता है।
11 दिसंबर तक मुहूर्त, शादियों पर ब्रेक ज्योतिषाचार्य ने बताया कि दिसंबर में 1, 2, 4, 5, 6 और 7 दिसंबर को शहनाइयां बजेंगी। 11 दिसंबर के बाद मुहूर्त नहीं होने के कारण इस साल के अंत में शादी समारोह नहीं होंगे। 14 दिसंबर को शुक्र ग्रह अस्त होने से विवाहों का सिलसिला थमेगा।
