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पाली-पाली में डीएनटी समन्वय समिति के तत्वावधान में मंगलवार दोपहर को विमुक्त, घुमंतू एवं अर्ध-घुमंतू जातियों से जुड़े लोग बड़ी संख्या में रैली के रूप में नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। इन्होंने जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। जिसमें कहा कि सरकार उनकी मांगों को लेकर उचित फैसला नहीं लेती है, तो प्रदेश के विभिन्न जिलों में प्रदर्शन के बाद जयपुर जिला मुख्यालय पर बड़ा आंदोलन करेंगे
राष्ट्रीय पशुपालक संघ एवं डीएनटी समन्वय समिति के अध्यक्ष लालजी राईका ने बताया कि विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समाजों के लिए रेनेके और इदाते आयोग की रिपोर्ट की सिफ़ारिशों के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों ने नीतियां बनाई हैं। लेकिन राजस्थान सरकार ने केवल उदासीन रवैया अपनाया है।
उन्होंने कहा- जातियों को सूचीबद्ध करने में अनेक विसंगतिया हैं। जैसे रैबारी लिखा है, लेकिन उसके पर्याय शब्द राईका (रायका) और देवासी नहीं लिखा है। इससे उनके पहचान सर्टिफिकेट नहीं बन रहे। जोगी कालबेलिया लिख दिया, जबकि जोगी और कालबेलिया अलग अलग है, बावरी लिखा है, लेकिन बागरिया नहीं लिखा है। नायक और भोपा एक ही जाति है, लेकिन उनको अलग अलग वर्ग में डाल दिया है। बंजारा, भाट और राव एक ही है, लेकिन उनमें भी भूल की है। इनके सुधार के लिए कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर को ज्ञापन भी दिया, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ।
नारेबाजी करते हुए पहुंचे कलेक्ट्रेट
बता दें कि सुबह सभी सूरजपोल देवासी समाज के हॉस्टल में एकत्रित हुए। वहां से रैली के रूप में सूरजपोल चौराहा, अंबेडकर सर्किल, शिवाजी सर्किल होते हुए कलेक्टर ऑफिस ऑफिस पहुंचे।
ये है प्रमुख 9 मांगे
1. डीएनटी समाज को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में 10% आरक्षण दिया जाये। जिसकी सिफ़ारिश रेनके आयोग ने भी की है। राजस्थान में इन जातियों की अनुमानित जनसंख्या क़रीब 15% है, इसलिए 10% आरक्षण की मांग उचित है। इन जातियों में अधिकतर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल है। लेकिन इनको कोई लाभ नहीं मिल रहा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ‘आरक्षण के भीतर आरक्षण’ के तहत इन समाजों को अलग से 10% आरक्षण दिया जाना चाहिए।
2. पंचायती राज्य संस्थाओं और शहरी निकायों में इनके लिए 10% सीटें आरक्षित की जाए। क्योंकि ये जातियां बिखरी हुई हैं, इसलिए एक साथ वोट नहीं कर पाती हैं, इसलिए इन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए 10% सीट राज्य सभा में आरक्षित किया जाए।
3. जहां पर इनके आवास हैं या बाडा है, उसी को नियमित पर पट्टे दिये जाए।
4. आवासहीनों को शहर में 100 वर्ग गज और गांवों में 300 वर्ग गज आवास के लिए और 300 गज पशुओं के बाड़े के लिए जमीन दी जाए।
5. शिक्षा के लिए शिक्षा बजट का 10% हिस्सा अलग किया जाये और उसमें से इनके लिए आवासीय विद्यालय, कॉलेज, आंगनबाड़ी, हॉस्टल, कौशल कॉलेज आदि खोले जाए।
6. उन्हें कहीं भी शिक्षा का प्रावधान किया जाये और उनके बच्चों को शिक्षा अधिकार में प्राइवेट स्कूल में प्रवेश में प्राथमिकता दी जाये और उनकी फ़ीस की सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाये।
7. महिलाओं और युवाओं को आधुनिक उद्योग जैसे इलेक्ट्रॉनिक, कंप्यूटर मैन्यूफैक्चरिंग में ट्रेनिंग देकर रोज़गार दिया जाये क्योंकि इन जातियों में बचपन से ही कला की प्रवृति होती है, इसलिए इन उद्योगों के लिए वे कुशल कर्मचारी साबित होंगे। सभी प्राइवेट उद्योगों को इस समाजों को रोज़गार देने का लक्ष्य दिया जाये।
8. प्रति वर्ष एक हजार विद्यार्थियों को विदेश में शिक्षा के लिए भेजा जाए। जिसका पूरा खर्च सरकार वहन करे।
9. इनके लिए अलग मंत्रालय, वित्त निगम और लोन की सुविधा होनी चाहिए।