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बाली। मुंडारा ग्राम में मां चामुण्डा के दरबार में श्रद्धा से नवाया शीश,खुशहाली की कामना की
मुंडारा ग्राम स्थित शक्ति पीठ मुंडारा चामुण्डा माता मंदिर परिसर में रविवार को आयोजित मेले में क्षेत्रभर से श्रद्धालुओं ने भाग लेकर मंगलगीतों के साथ पूजा अर्चना कर मां के दरबार में शीश नवाया।परिवार की खुशहाली की कामना की।मेला का आयोजन श्री चामुंडा माताजी मंदिर प्रबंधन समिति व श्री चामुंडा माताजी मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान में किया गया।
बसंत पंचमी को मां चामुण्डा के वार्षिक मेले में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।रंग बिरंगे परिधानों में महिलाओं, बच्चों व बड़ों-बुजुर्गों के हुजूम सवेरे से ही जयकारे लगाते माता के दरबार में पहुंचने शुरू हो गये।
मेलार्थियों ने मां चामुंडा माता के दर्शन कर तथा दोपहर कालीन व संध्या कालीन महाआरती में सपरिवार भाग लेकर प्रसाद चढ़ाया और परिवार व क्षेत्र की खुशहाली की कामना की। तथा ग्रामीण विकास पंचायतराज व आपदा प्रबंधन राज्य मंत्री व प्रबंधन समिति सदस्य पूजारी ओटाराम देवासी से आशीर्वाद लिया।
इस मौके पर मंदिर व समाधि परिसर की विशेष साज सज्जा की गई।बस स्टैंड से मंदिर परिसर में दिन भर मेले जैसा माहौल नजर आया। मुंडारा चामुण्डा माता के आयोजित मेले में ग्राम्य संस्कृति झलक उठी।
दोपहर तक मेला अपने पूरे यौवन पर पहुंच गया।श्रद्धालुओं ने इस मौके पर लगे हाट बाजार में जमकर खरीददारी की। श्रद्धालुओं के सैलाब के मध्यनजर ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हितेंद्र वागोरिया के निर्देश पर मुंडारा चिकित्सा प्रभारी डॉ. वसीम अकरम,डॉ.हिना गोस्वामी,नर्सिंग अधिकारी प्रकाशकुमार,महेंद्रसिंह राजपुरोहित, नयनाकुमारी व सहयोगियों ने चिकित्सालय परिसर में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई।
वही पुलिस ने भी कानून व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए।पुलिस थाना सादड़ी निरीक्षक हनवंतसिंह सोढ़ा के नेतृत्व में पुलिस चौकी लाटाड़ा कांस्टेबल मुलाराम जाखड़ आदि पुलिस के जवान पूरे मेले के दौरान मुस्तेद रहे।मेलार्थियों की सुविधार्थ चामुंडा माताजी मंदिर मुख्य ट्रस्टी गजेन्द्रसिंह करणोत,मंत्री ट्रस्ट मदनसिंह राजपुरोहित,पूर्व वार्डपंच थानमल राव,वार्डपंच गिरधारी मेवाड़ा,गुलाबराम चौधरी आदि ग्रामवासी मेला व्यवस्था संभाल रहे थे।मेले में पड़ोसी जिलो समेत गुजरात, महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश राज्यों से भी बड़ी तादाद में भक्तजन पहुंचे।
गौरतलब है कि चामुंडा माता मंदिर जीणोद्धार के बाद सवंत् 1885 माघ मास शुक्ल पक्ष 5,बसंत पंचमी को मंदिर की धूमधाम से प्रतिष्ठा की गई थी।उसी उपलक्ष में प्रतिवर्ष बसंत पंचमी को मेला का आयोजन किया जाता रहा है।

