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बाली उपखंड के कुमटिया ग्राम पंचायत के सेरावा में जनजातीय गौरव वर्ष धरती आभा बिरसा मुंडा की जन्म जयंती के उपलक्ष् में प्रशासक कुसाराम गरासिया उप सरपंच करन सिंह चौहान ने रैली को झड़ी दिखाकर रवाना किया।
जनजातीय गौरव वर्ष: सेरावा में बिरसा मुंडा जयंती पर भव्य रैली का आयोजन हुआ
ग्राम विकास अधिकारी हितेश बामनिया ने कहा कि सेरावा गांव में आज बाली विकास अधिकारी भोपाल सिंह जोधा के निर्देशन में “जनजातीय गौरव वर्ष” के तहत धरती आबा बिरसा मुंडा की जन्म जयंती बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर गांव में एक भव्य रैली का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण, स्कूली बच्चे और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सह्ययक ग्राम विकास अधिकारी लक्ष्मणलाल व मोहनलाल गरासिया ने बताया कि सुबह से ही सेरावा गांव में उत्साह का माहौल था। ग्रामीण पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे नजर आए, वहीं स्कूली बच्चे हाथों में बिरसा मुंडा के जीवन और संदेशों को दर्शाती तख्तियां लिए हुए थे। रैली की शुरुआत गांव के मुख्य चौक से हुई, जहां स्थानीय मुखिया और वरिष्ठ सदस्यों ने बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
रैली के दौरान ढोल-नगाड़ों की थाप और “बिरसा मुंडा अमर रहें!”, “जल, जंगल, जमीन हमारी है!” तथा “जनजातीय गौरव वर्ष जिंदाबाद!” जैसे नारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। रैली गांव के विभिन्न मोहल्लों से होकर गुजरी, जहां रास्ते भर ग्रामीणों ने फूलों की वर्षा कर और तालियों से प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया।
इस अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए स्थानीय मुखिया ने कहा, “धरती आबा बिरसा मुंडा ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ ‘उलगुलान’ का बिगुल फूंका था और आदिवासियों के अधिकारों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका संघर्ष और बलिदान आज भी हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है।” उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा के आदर्शों को अपनाकर ही हम एक मजबूत और समृद्ध समाज का निर्माण कर सकते हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित एक ग्रामीण ने बताया, “हमें गर्व है कि हम ऐसे महान नायक के वंशज हैं। यह रैली हमें अपनी संस्कृति और अपने इतिहास से जोड़े रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।”
स्कूली बच्चों ने भी बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित लघु नाटिका प्रस्तुत की और उनके बलिदान को याद किया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य नई पीढ़ी को बिरसा मुंडा के त्याग और संघर्ष से परिचित कराना और जनजातीय संस्कृति और विरासत के प्रति उनमें गौरव की भावना जागृत करना था।
रैली का समापन एक सार्वजनिक सभा के साथ हुआ, जहां सभी प्रतिभागियों ने बिरसा मुंडा के दिखाए मार्ग पर चलने और उनके सपनों को साकार करने का संकल्प लिया।
