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करौली-राजस्थान के करौली-सवाई माधोपुर क्षेत्र में प्रस्तावित डूंगरी बांध परियोजना को लेकर किसानों का आक्रोश चरम पर पहुंच गया है। शुक्रवार को करौली जिले की ग्राम पंचायत जोड़ली के पावर हाउस परिसर में डूंगरी बांध विरोध संघर्ष समिति द्वारा आयोजित महापंचायत में हजारों किसान और ग्रामीण एकत्र हुए। मंच पर राकेश टिकैत, पूर्व मंत्री रमेश चंद मीणा, विधायक हंसराज मीणा, पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और युवा नेता नरेश मीणा समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे।
किसानों का दावा- 76 गांव पूरी तरह डूब जाएंगे
महापंचायत में किसानों ने दावा किया कि बांध बनने से 76 से 88 गांव पूरी तरह डूब जाएंगे और करीब 87 हजार बीघा जमीन जलमग्न हो जाएगी। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार जंगल और गांव उजाड़कर 11 जिलों को पानी देने की योजना बना रही है, जबकि स्थानीय इलाके जैसे सपोटरा और भूरी पहाड़ी आज भी प्यासे हैं। राकेश टिकैत ने इसे किसान-विरोधी परियोजना करार दिया, जबकि राजेंद्र गुढ़ा ने तीन कृषि कानूनों की तरह जनआंदोलन से इसे रद्द कराने की बात कही।
महापंचायत के अंत में कोर कमेटी ने बड़ा फैसला लिया।
संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री को 1 दिसंबर तक का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर इस तारीख तक बांध रद्द करने या संशोधन पर सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो 10 दिसंबर से उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा। हजारों किसान सड़कों पर उतरेंगे और आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।
सरकार ने कहा- 76 नहीं, सिर्फ 16 गांव प्रभावित
इधर, महापंचायत के कुछ घंटे बाद ही राजस्थान सरकार ने जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसानों के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत, कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने स्पष्ट किया कि डूंगरी बांध (राम जल सेतु लिंक परियोजना के तहत) से केवल 72 या 76 नहीं, सिर्फ 16 गांव प्रभावित होंगे। इनमें कुल 4,387 मकान-भवन आएंगे।
मंत्रियों ने बताया कि 2017 की पुरानी सर्वे रिपोर्ट में ज्यादा गांव प्रभावित दिख रहे थे, इसलिए भराव तल (FRL) को 230 मीटर से घटाकर 227.50 मीटर और भराव क्षमता को 2100 MCM से घटाकर 1588 MCM कर दिया गया है। इसके बाद सिर्फ 16 गांव प्रभावित बचे हैं, जिनमें से केवल 9 गांव 70-100% तक डूबेंगे। सभी प्रभावित परिवारों का पास ही पुनर्वास किया जाएगा। सरकार ने इसके लिए पूरी योजना तैयार कर ली है।
मंत्रियों ने विपक्षी नेताओं पर साधा निशाना
मंत्रियों ने विपक्षी नेताओं पर तीखा हमला बोला और कहा कि जिन नेताओं को जनता ने नकार दिया है, वे राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए 76 गांव डूबने की झूठी अफवाह फैला रहे हैं और कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं। किसानों से अपील की गई कि वे ऐसे नेताओं के बहकावे में न आएं। सरकार हर समय बातचीत के लिए तैयार है और किसान प्रतिनिधि मंडल कभी भी अधिकारियों व मंत्रियों से मिलकर पूरी परियोजना समझ सकता है।
