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पिन्टु अग्रवाल चामुंडेरी
पाली। बाली उपखण्ड के कोठार ग्राम में लोक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण नजारा देखने को मिला। मौका था 15 वर्ष बाद कोठार गांव में तालाब पूजन का, जिसे स्थानीय बोलचाल की भाषा में समंदर हिलोरना कहते है। सभी समाजों के लोग परम्परागत परिधानों में सजे-धजे नजर आ रहे थे। माता बहनों भाइयो के चेहरों पर असीम उत्साह दिखाई दे रहा था। हर कोई तालाब पर पहुंचने को लेकर उतावला नजर आ रहा था। इसे लेकर 36 कौम के लोगों में असीम उत्साह दिखाई दिया। सूत्रों के अनुसार करीबन 500 बहनों ने तालाब पूजन किया। कोठार ग्राम में आयोजित तालाब पूजन कार्यक्रम में बड़ी संख्या मे रिश्तेदार पहुचे जिससे ग्राम में मेले सा माहौल बन गया। यातायात सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नाना पुलिस के जवान मौजूद रहे। तालाब स्थल पर बेहतरीन व्यवस्था की गई। वही रिस्तेदारो के लिए भोजन प्रसादी का भी प्रबंध किया गया
उत्साह इतना की
तालाब पूजन के लिए सुबह का समय निर्धारित था। उत्साह का आलम यह था कि रात भर गांव में भजन-कीर्तन होता रहा। गांव के लगभग प्रत्येक परिवार में पूजन करने वाली महिलाओं ने अपने भाइयों सहित रिश्तेदारों को आमंत्रित किया था।
ढोल-ढमाकों के साथ तालाब पर पहुंचे
सुबह निर्धारित समय पर गांव के सदस्यों ने ढोल-ढमाकों के साथ मंगल गीत गाते हुए तालाब पहुंचकर पूजन की रस्म निभाई। फिर सभी लोग अपने अपने निर्धारित स्थानों पर तालाब पूजन की रस्म निभाते देखे गए। गांव में बहनों के भाइयों ने अपनी बहनों को चुनरी ओढ़ाकर उसके साथ मटकी से तालाब को हिलोरने की रस्म अदा की। भाइयों ने बहनों को उपहार स्वरूप वस्त्र व अन्य भेंट सौगातें दी। इससे पूर्व तालाब पूजन करने वाली महिलाओं ने भी भाइयो के लंबी उम्र की प्राथना की।
दिनभर मेले जैसा दिखा माहौल
तालाब पूजन स्थल पर तालाब पूजन के लिए व्यवस्थाएं की गई थी. सभी ने अपने निर्धारित स्थलों पर पहुंचकर तय समय पर एक साथ तालाब पूजन की रस्म शुरू की. तालाब पूजन के दौरान कार्यक्रम में शिरकत करने आए लोगों के लिए भी सभी समाजों ने अपने-अपने हिसाब से स्वागत सत्कार किया।
समुद्र मंथन का महत्व
गौरतलब है कि मारवाड क्षेत्र में समुद्र मंथन एक पारंपरिक धार्मिक महत्व का त्योहार है. इस क्षेत्र के अधिकांश लोगों के जीविकोपार्जन का मुख्य स्त्रोत खेती ही होता है. जिस समय अच्छी बारिश होती है और क्षेत्र के तालाब, पोखर इत्यादि भर जाते है, तो तालाब पूजन की रस्म निभाई जाती है. इस आयोजन के लिए पूरा गांव एकजुट होता है. इसमें सभी समाज वर्ग के लोग अपने अपने पारंपरिक कपड़े पहनकर, इस कार्यक्रम में शिरकत की।
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