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जोधपुर-फैमिली कोर्ट पाली में दायर तलाक के मुकदमे की आगे की कार्रवाई पर पत्नी की मांग पर राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। जोधपुर में शेरगढ़ तहसील में अपने पीहर रह रही तारा देवी पुत्री कोजाराम दर्जी ने एडवोकेट निखिल भंडारी की ओर से एक दीवानी ट्रांसफर याचिका पेश की थी।
महिला के वकील एडवोकेट भंडारी ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि पति दिनेश गोयल ने फैमिली कोर्ट पाली में झूठे तथ्यों के आधार पर तलाक लेने के लिए धारा 13 हिन्दू विवाह अधिनियम में एक मुकदमा पेश किया था। पति ने अपनी पत्नी को केवल हैरान और परेशान करने की नीयत से तलाक का मुकदमा किया है।
एडवोकेट निखिल भंडारी ने बताया- शादी के कुछ साल बाद ही पति ने अपनी पत्नी तारा को ससुराल से मारपीट करके निकाल दिया था। इसके बाद भी पति उसे लगातार तंग और परेशान कर रहा था। पत्नी तारा अपने पीहर जोधपुर में अपने बूढ़े मां-बाप के साथ रह रही हैं। उसके लिए यह बहुत मुश्किल होगा कि वह हर पेशी पर जोधपुर से पाली पेशी के लिए जाएं, इसलिए पाली में चल रहे पति के तलाक के मुकदमे की कार्यवाही स्टे ऑर्डर जारी करके तत्काल प्रभाव से रोक दी जाए, जिससे प्रार्थियां तारा देवी को परेशानी न उठानी पड़े
हाईकोर्ट ने स्टे ऑर्डर पारित कर महिला को दी राहत एडवोकेट निखिल भंडारी ने सुप्रीम कोर्ट के 2010 के फैसले विनिशा जीतेश तोलानी बनाम जीतेश किशोर तोलानी व 2016 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले वैशाली श्रीधर जगताप बनाम श्रीधर विश्वनाथ जगताप और राजस्थान हाईकोर्ट के 2021 के फैसले एकता दाधीच बनाम राजेन्द्र प्रसाद शर्मा में प्रतिपादित सिद्धान्त पर यह फैसले हाईकोर्ट के समक्ष पेश कर कहा कि पत्नी की मांग पर हाईकोर्ट को पति द्वारा दायर तलाक के मुकदमे को पत्नी के वर्तमान निवास स्थान के शहर के न्यायालय में ट्रांसफर कर देना चाहिए।
राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस योगेन्द्र कुमार पुरोहित ने एडवोकेट निखिल भंडारी के द्वारा दिए गए सभी तर्कों से सहमत होते हुए पति की तलाक याचिका जो कि पाली फैमिली कोर्ट में लम्बित हैं उसकी सारी कार्यवाही तत्काल प्रभाव से रोकने का स्टे ऑर्डर पारित कर प्रार्थिया तारा देवी को राहत प्रदान कर दी।