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जोधपुर-जोधपुर की रेंज पुलिस ने 25 हजार के इनामी बदमाश को ऑपरेशन पैराडॉक्स के अंतर्गत पकड़ा है। बदमाश इतना शातिर था कि जब पुलिस इसे पकड़ने पहुंची तो खुद को छूने से फैलने वाली बीमारी से पीड़ित बता कर दूर रहने को कहा। जैसे ही भागने लगा पुलिस ने दबोच लिया। बदमाश पर 3 जिलों में 27 से ज्यादा चोरी और नकबजनी के मामले दर्ज थे। 2019 में कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वह फरार चल रहा था। पुलिस ने इसे जोधपुर के कुड़ी थाना इलाके से गिरफ्तार किया
जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार ने बताया- आज सुबह 4 बजे 5 साल से फरार आरोपी दान सिंह (38) गिराब जिला बाड़मेर को गिरफ्तार किया गया है। यह फरारी के दौरान ट्रांसपोर्ट का बिजनेसमैन बन कर घूम रहा था। इसे जोधपुर, बाड़मेर और बालोतरा की पुलिस को तलाश थी। दान सिंह महिला मित्रों के ऑनलाइन गिफ्ट ऑर्डर करता था। ऐसे में, पुलिस को डिलीवरी बॉय से इसके ठिकाने की जानकारी मिली। पूछताछ में सामने आया कि पुलिस से बचने के लिए अपने भाई-बहन की सगाई में भी शामिल नहीं हुआ। दोनों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आशीर्वाद दिया था।
ट्रांसपोर्टर बन कर रह रहा था
रेंज आईजी विकास कुमार ने बताया- दान सिंह 2003 से अपराध की दुनिया में है। 2019 तक 27 मामले उसके खिलाफ दर्ज हो चुके थे। साल 2019 में कोर्ट से जमानत मिलने के बाद से फरार चल रहा था। आरोपी को पकड़ने के लिए पैराडॉक्स नाम का ऑपरेशन चलाया गया था। आरोपी ने फरारी के दौरान गुजरात के 2 होटल में वेटर का काम किया। इसके बाद जोधपुर के तनावाडा में ट्रांसपोर्टर का बिजनेस शुरू किया। इस दौरान व्यापारियों से करीब तीन से 4 लाख रुपए ठग कर एक साल पहले भुवनेश्वर भाग गया।
करीब 6 महीने पहले ही जोधपुर के कुड़ी हाउसिंग बोर्ड सेक्टर 14 इलाके में आया था। यहां मिस्टर हाइड की तरह अपनी पहचान छुपाकर रहने लगा। कुड़ी में अकाउंट खुलवाने और डिजिटलाइजेशन का काम शुरू कर दिया। यहां अपने किसी साथी के साथ रह रहा था। उससे भी अपनी पहचान छुपाई थी।
संक्रमित बताकर भागने की कोशिश की
IG ने बताया- दान सिंह शौक मौज की जिंदगी जीना चाहता था। इसके चलते वह महिलाओं से दोस्ती रखता था। उन्हें महंगे उपहार दिया करता था। ऐसे ही एक उपहार की डिलीवरी को पुलिस को पता लगा। पुलिस डिलीवरी बॉय का पीछा करते उसके सही ठिकाने तक पहुंची। इसके बाद आज सुबह गिरफ्तारी के लिए कुड़ी में ठिकाने पर टीम साइक्लोनर के प्रभारी कन्हैयालाल के नेतृत्व में टीम ने दबिश दी।
इस दौरान उसने खुद को विक्रम सिंह बताकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की। उसके कमरे से बरामद हुए आधार कार्ड से उसकी पोल खुल गई। पुलिस से घिर जाने के बाद आरोपी ने खुद को छूने से फैलने वाली बीमारी से पीड़ित बताया और भागने की कोशिश की लेकिन टीम ने उसे दबोच ही लिया। दान सिंह ने अपने रूम पार्टनर को भी खुद की पहचान एक ट्रांसपोर्ट व्यापारी के तौर पर बताई थी। इसके चलते वह भी उसके झांसे में आ गया।
वीडियो रिकॉर्डिंग से दिया आशीर्वाद
IG ने बताया- आरोपी पुलिस के भय से कुछ महीने पहले अपने भाई और बहन की सगाई कार्यक्रम में भी नहीं पहुंचा था। यहां पर वीडियो रिकॉर्डिंग देखकर उन्हें आशीर्वाद दे रहा था। उसकी तलाश में पुलिस अहमदाबाद और भुवनेश्वर में ठिकानों पर दबिश देती रही ।
पुलिस से बचने के लिए आरोपी दान सिंह ने अपने पुराने सारे संपर्क तोड़कर नए संपर्क बनाए। अपना नाम बदलकर विक्रम सिंह रख लिया। अपने नेटवर्क को मजबूत करने के लिए दूसरे लोगों के नाम से मोबाइल और सिम को खरीदा। इसमें बिहार के मजदूरों को अपने जाल में फंसाकर उनके नाम से अकाउंट खुलवा देता था। बाद में उनके अकाउंट का डिजिटल सिग्नेचर बनाकर गलत इस्तेमाल करता था।
ऑपरेशन का नाम पैराडॉक्स रखने का कारण
IG ने बताया- पैराडॉक्स का मतलब विरोधाभास होता है। दानसिंह ने फरारी के दौरान अपना नाम विक्रम सिंह रखा था। दान सिंह नाम का अर्थ होता है- दान देने वाला लेकिन वह कर्मों से चोरी करने वाला है। वहीं विक्रम सिंह बनकर अच्छा आदमी होने का ढोंग कर रहा था। एक तरीके से ये डांसिंग डॉक्टर जैकाल और मिस्टर हाइड के उपन्यास का नाट्य रूपांतरण लग रहा था। इस पूरी कार्रवाई में टीम के प्रभारी कन्हैयालाल, प्रमित चौहान, देवाराम, महेंद्र कुमार, महिपाल सिंह, अशोक कुमार, मनीष कुमार, अशोक परिहार, स्ट्रांग टीम से रोहिताश, राजू नाथ घासीलाल, गोपाल जानी शामिल रहे।