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जोधपुर-हाइकोर्ट के आदेश को 9 महीने बीत जाने के बावजूद पालना नहीं करने और अनुकम्पा नियुक्ति नहीं देने के मामले में हाईकोर्ट ने जोधपुर सीएमएचओ पर 20 हजार रुपए का जमानती वारंट जारी करने व कोर्ट में मौजूद होने का आदेश दिया है। 17 जनवरी को इस मामले में अगली सुनवाई है।
जोधपुर सीएमएचओ डॉ. सुरेंद्र सिंह शेखावत को कंटेम्प्ट नोटिस तामील होने के बावजूद वह कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए सीएमएचओ को 20,000 के जमानतीय वारंट से व्यक्तिशः तलब किया है। याचिकाकर्ता प्रियंका माथुर ने अवमानना याचिका दायर की थी। अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट जस्टिस दिनेश मेहता की एकलपीठ ने यह आदेश दिए।
अनुकम्पा नियुक्ति के लिए लगाई थी याचिका
दरअसल, राजस्थान सरकार में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता पद पर सेवारत रहते हुए मृत्यु हो जाने पर कर्मचारी की विवाहिता पुत्री ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। पूर्व में राजस्थान हाइकोर्ट की वृहदपीठ ने प्रियंका श्रीमाली प्रकरण में यह निर्धारित कर दिया था कि विवाहिता पुत्री भी अनुकम्पा नियुक्ति की हकदार हैं।
इसके बावजूद अनुकम्पा नियमों में 2021 में राज्य सरकार की ओर से किए गए संशोधन से पूर्व याचिकाकर्ता अनुकम्पा नियुक्ति की हकदार थी। उसका वाद भी साल 2020 का है लेकिन राज्य सरकार ने 2021 में हुए संशोधन का हवाला देकर अनुकम्पा नियुक्ति देने से मना कर दिया। जिसपर याचिकाकर्ता ने रिट याचिका दायर कर अनुकम्पा नियुक्ति दिलाए जाने की गुहार लगाई।
9 महीने बाद भी फैसले की पालना नहीं
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने इस साल 19 मार्च को फैसला देते हुए याचिकाकर्ता को अनुकम्पा नियुक्ति देने का आदेश दिया था। फैसले की पालना नहीं होने पर याचिकाकर्ता ने अपने वकील यशपाल खिलेरी के माध्यम से अवमानना याचिका पेश की। अवमानना याचिका के नोटिस जारी होने पर नोटिस तामील भी हो गए लेकिन 9 महीने बीत जाने के बावजूद भी फैसले की पालना नहीं की और न ही अवमनाकर्ता प्रमुख शासन सचिव शुभ्रा सिंह और अन्य कोर्ट में उपस्थित हुए।
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जोधपुर सीएमएचओ डॉ. सुरेंद्र सिंह शेखावत को 20 हजार रुपए के जमानतीय वारंट से व्यक्तिशः तलब करते हुए अवमानना प्रकरण की अगली पेशी 17 जनवरी 2025 को दी।