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जोधपुर-आसाराम का बेटा नारायण साईं 11 साल बाद उससे जोधपुर की सेंट्रल जेल में मिल पाएगा। गुजरात हाईकोर्ट ने मानवीय आधार के पहलू को ध्यान में रखते हुए यह नारायण की याचिका पर मंजूरी दी है। इसके लिए उसे सभी खर्चों समेत 5 लाख रुपए चुकाने होंगे। इसके नारायण साईं को 4 घंटे की अनुमति मिली है।
जज इलेश वोरा और एसवी पिंटो की बेंच ने साईं की 30 दिनों की जमानत को खारिज कर दिया था। लेकिन, पुलिस सुरक्षा में अपने खर्चे पर मानवीय आधार के चलते अपने पिता आसाराम से मिलने की 4 घंटे की अनुमति दी है। साईं ने 30 दिन की जमानत के साथ याचिका में अपने पिता की उम्र और बीमारियों का हवाला देकर मिलने की गुजारिश की थी।
साईं के वकीलों ने दलील दी-
” याचिकाकर्ता के पिता की तबीयत अत्यधिक गंभीर है, जेल में रहते हुए उन्हें कई बार दिल का दौरा पड़ चुका है। प्रत्येक बीतते क्षण के साथ, उनकी स्थिति काफी बिगड़ती जा रही है। ऐसे में मुलाकात के लिए समय दिया जाए।
हाईकोर्ट ने आदेश दिया- मानवीय आधार पर, तथा आसाराम की स्वास्थ्य स्थिति से संबंधित दस्तावेजों और इस तथ्य पर विचार करते हुए कि आवेदक पिछले 11 वर्षों से अपने पिता से नहीं मिला है, हम यह निर्देश देना उचित समझते हैं कि साईं को पुलिस सुरक्षा के साथ हवाई मार्ग से जोधपुर जेल ले जाया जाए।
साईं उठाएगा पूरा खर्चा
हाईकोर्ट ने कहा कि उसकी सुरक्षा में एक सहायक पुलिस आयुक्त, एक पुलिस निरीक्षक, दो हेड कॉन्स्टेबल और दो कॉन्स्टेबल शामिल होंगे, जिनका खर्च आवेदक को उठाना होगा। पीठ ने साई को उक्त खर्च के लिए राजकोष में पांच लाख रुपए जमा कराने का आदेश दिया। आदेश में कहा गया है कि आवेदक द्वारा राशि जमा कराए जाने के बाद, संबंधित प्राधिकारी द्वारा सात दिनों के भीतर उसे ले जाने के लिए आवश्यक व्यवस्था की जाएगी।
किसी और से नहीं मिल पाएंगे आसाराम-नारायण
हाईकोर्ट के आदेश में कहा- आवेदक को सूरत के लाजपोर केंद्रीय कारागार से सीधे जोधपुर की जेल ले जाया जाएगा, जहां उसे चार घंटे की मुलाकात के दौरान रखा जाएगा। जोधपुर जेल प्राधिकरण इस अवधि के दौरान किसी अन्य व्यक्ति जैसे बहन, मां या अन्य को आवेदक से मिलने की अनुमति नहीं देगा। आवेदक के अलावा पिता-पुत्र की मुलाकात के दौरान कोई अन्य व्यक्ति नहीं होगा। आदेश में कहा गया है कि साईं को जल्द से जल्द विमान से सूरत के लाजपोर केंद्रीय कारागार में वापस लाया जाएगा।