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खीमाराम मेवाडा
उदयपुर-जवाई पुनर्भरण को लेकर उदयपुर जिले के कोटड़ा क्षेत्र में आ ज आदिवासियों ने ढोल बजाकर अपना विरोध दर्ज कराया।
आदिवासियों ने इस क्षेत्र में बनने वाले चक सांडमारिया बांध व बुझा बांध बनाने को लेकर विरोध जताया और कहा कि यहां रहने वाला आदिवासी कहां जाएगा। बाद में राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन देकर अपने दर्द से उनको अवगत कराया है।
प्रस्तावित बांध परियोजनाओं के निरस्तीकरण की मांग को लेकर आदिवासी समाज संघर्ष समिति-माण्डवा खण्ड (कोटड़ा) द्वारा मंगलवार को कोटड़ा में एकत्रित हुए। यहां पर पहले ढोल बजाया और अपना दर्द बयां किया। बड़ी संख्या में आदिवासी महिलाएं और पुरुष इसमें शामिल हुए।
उनकी एक ही मांग थी कि प्रस्तावित बांध-चक सांडमारिया एवं बुझा का नाका परियोजनाओं को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। राज्यपाल के नाम तहसीलदार लालाराम मीणा को दिए ज्ञापन में बताया कि दोनों प्रस्तावित बांधों के निर्माण से क्षेत्र के गरीब आदिवासी किसानों की कृषि भूमि डूब क्षेत्र में आ जाएगी, जिससे उनका जीवन प्रभावित होगा।
समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि हाल ही में मुख्यमंत्री ने माही डैम को जवाई बांध से जोड़ने वाले बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। माही डेम का पानी जवाई बांध तक पहुंचने के बाद भी पूरे मारवाड़ क्षेत्र को पर्याप्त जलापूर्ति नहीं हो पाएगी।
उन्होंने कहा कि पहले भी इस तरह के प्रोजेक्ट से कोटड़ा के आदिवासियों का विस्थापन हो चुका है। समिति ने चेताया कि यदि ये प्रस्तावित बांध बनाए जाते हैं तो सैकड़ों आदिवासी परिवारों का विस्थापन होगा, जो पहले से ही कई बांध परियोजनाओं के कारण पीड़ित हैं। इस दौरान कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष रायसाराम खेर, राजूराम, कमला शंकर खेर आदि मौजूद रहे।



