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गणपत सिंह मांडोली हत्याकांड : न्याय आंदोलन उफान पर,जनप्रतिनिधियों व सामाजिक संगठनों की बढ़ती मौजूदगी ने संघर्ष को दिया नया आयाम**
जालोर/मांडोली (दलपतसिंह भायल)
जालोर जिले का चर्चित गणपत सिंह मांडोली हत्याकांड अब एक जन-आक्रोश के रूप में पूरी ताकत से सामने आ रहा है। हत्याकांड को 15 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी न होने से परिजनों व समाज में गहरा रोष है। इसी आक्रोश ने कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर चल रहे धरने को पूरे जिले ही नहीं, बल्कि प्रदेशभर का मुद्दा बना दिया है।
◼ 80 वर्षीय माँ—आंदोलन की आत्मा, न्याय की लौ रात-दिन प्रज्वलित
गणपत सिंह की 80 वर्षीया माँ, जो चलने-फिरने में भी असमर्थ हैं,
कड़कड़ाती ठंडी रातों में बिना अन्न-जल के धरने पर डटी हुई हैं।
भीड़ में खड़े लोग भावुक होकर कहते हैं—
“इनकी आँखों में आँसू नहीं… न्याय के लिए जलती हुई आग है।”
उनकी यह दृढ़ता ही इस आंदोलन की नयी प्रेरणा बन चुकी है। समाज के सभी वर्गों से लोग उनकी पीड़ा देखकर धरने पर पहुँच रहे हैं और समर्थन दे रहे हैं।
◼ राजनीतिक समर्थन तेज — जनप्रतिनिधि खुलकर आए सामने
धरने के बढ़ते दबाव को देखते हुए अब राजनीतिक नेतृत्व भी सक्रिय हो रहा है।
✔ शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी पहुँचे; महापड़ाव का अल्टीमेटम
शनिवार सुबह शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने धरने स्थल की अचानक पहुँचकर परिजनों की बात सुनी।
उन्होंने प्रशासन को साफ चेतावनी दी—
“यदि 2–3 दिनों में ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो महापड़ाव सहित बड़ा आंदोलन होगा… इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।”
उनके इस बयान से धरने में नई ऊर्जा और उम्मीद जागी है।
✔ आज सिवाणा विधायक हमीरसिंह भायल भी पहुंचे, बोले—धैर्य की भी सीमा होती है
रविवार सुबह सिवाणा विधायक हमीरसिंह भायल भी धरने में पहुँचे।
उन्होंने कहा—
“15 महीने किसी भी जांच के लिए बड़ा समय होता है। अब हत्यारों की गिरफ्तारी में और देरी जनता के धैर्य की परीक्षा है। प्रशासन तुरंत कार्रवाई करे—यही जनभावना है।”
इस विश्वास से आंदोलन को और मजबूती मिली है।
◼ करनी सेना का शीर्ष नेतृत्व कलेक्ट्रेट में—आंदोलन बना प्रदेशस्तरीय मुद्दा
22 नवंबर को राजपूत करनी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना,
प्रदेश सचिव बलवंत सिंह राठौड़ तथा अन्य पदाधिकारी भी धरने पर पहुँचे।
दोपहर को पोकरण विधायक प्रतापपुरी जी महाराज ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
उनके आने से आंदोलन में भारी जोश देखा गया।
युवाओं, सामाजिक संगठनों और आस-पास के गाँवों से लोगों का पहुँचने का क्रम तेज हो गया है।
◼ जनता—“यह लड़ाई अब किसी एक परिवार की नहीं, पूरे समाज की है”
धरने पर जुटे ग्रामीण, महिलाएँ, युवा और बुजुर्ग साफ कहते दिखाई दे रहे हैं—
“हम अब आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं।”
लोगों का सवाल स्पष्ट है—
“इतने संवेदनशील हत्याकांड में 15 महीने बाद भी गिरफ्तारी क्यों नहीं?”
◼ प्रशासन पर दबाव बढ़ा—जांच के दावों पर जनता का अविश्वास
जैसे-जैसे आंदोलन का दायरा बढ़ रहा है, प्रशासन की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं।
पुलिस जांच तेज होने के दावों के बावजूद अभी तक कोई ठोस गिरफ्तारी नहीं होने से जनता में गहरा असंतोष है।
स्थिति अब कानून-व्यवस्था की गंभीर चुनौती बन चुकी है।
📢 समाज से अपील — “एकजुट रहेंगे, तभी न्याय मिलेगा”
धरना स्थल पर नेताओं, परिजनों और समाजजनों ने कहा—
“गणपत सिंह की माँ की लड़ाई आज हर उस परिवार की आवाज़ है, जिसे न्याय चाहिए।
यह आंदोलन निर्णायक मोड़ पर है—पूरा समाज एकजुट होकर खड़ा हो, तभी न्याय मिलेगा।”
आने वाले दिनों में यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।


