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जालोर-जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक तय करने की मांग को लेकर चल रहा किसानों का महापड़ाव 27वें दिन रविवार को स्थगित कर दिया गया।
जालोर विधायक व मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, आहोर विधायक छगनसिंह व जिला कलेक्टर और चीफ इंजीनियर के साथ भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि मंडल की सुलह वार्ता हुई। जिसके बाद सरकार ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। बता दें कि 19 नवंबर से महापड़ाव की शुरुआत हुई थी।
जालोर कलेक्टर प्रदीप के गवांडे ने बताया कि पानी की मांग को लेकर किसान का धरना प्रदर्शन चल रहा था। आज सरकार की तरफ से चीफ इंजीनियर, जालोर विधायक व आहोर विधायक के साथ किसानों की वार्ता हुई। जिसमें कार्रवाई का सकारात्मक आश्वासन मिलने के बाद किसान संघ ने महापड़ाव को स्थगित कर दिया।
भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष रतनसिंह कानीवाड़ा ने बताया- सुलह वार्ता में सरकार के द्वारा जवाई पुर्नभरण योजना की डीपीआर बनाकर जवाई पुर्नभरण करने की मांग पर सहमति बनी है। इसके तहत 35 से 50 टीएमसी के बीच पानी मिलने की संभावना है। इसकी डीपीआर करीब 6 माह में तैयार हो जायेगी। इसमें सबसे अधिक पानी जवाई बांध के डाउन स्ट्रीम में दिया जाएगा। साथ ही जवाई बांध के पानी को जोधपुर ले जाने के लिए 2280 करोड़ की प्रस्तावित योजना को बंद करने और नदी पर बांध बनाने को लेकर भी सरकार कार्रवाई करेगी।
इसके अलावा जवाई जल वितरण की कमेटी में डाउन स्ट्रीम के किसान प्रतिनिधि व जनप्रतिनिधि शामिल करने के लिए विभाग राज्य सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजेगी। साथ ही किसानों को भी कमेटी में शामिल किया जाएगा।
इसके अलावा जवाई बांध के डाउन स्ट्रीम में जवाई नदी में कैचमेंट में बने करीब 8 बांधों को गेट लगाकर उसमें एकत्रित 500 पानी को एमसीएफटी पानी को जरूरत पड़ने पर जवाई नदी में पानी छोड़ा जाएगा। जिससे नदी में बहाव हो सके।
हालांकि संघ के प्रतिनिधिमंडल के बैठक से लौटने पर किसानों ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की। महापड़ाव में बैठे शिव सेना जिला प्रमुख रूपराज पुरोहित, करणसिंह थांवला ने कहा- महापड़ाव की शुरुआत में किसान आंदोलन जवाई बांध के पानी पर एक तिहाई हिस्सा तय करने की मांग को लेकर शुरू हुआ था। लेकिन वो पूरी नहीं हो रही हैं। फिर भी धरना समाप्त की बात की जा रही हैं। इस दौरान पदाधिकारियों के बीच आम सहमति को लेकर बहस भी हुई, लेकिन अंत में सभी ने एक सहमति बनाने हुए फिलहाल धरने को स्थगित करने का निर्णय लिया।