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जयपुर। बीकानेर के पांचू निवासी सैनिक रामस्वरूप कस्वां को शहीद का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर विवाद गहरा गया है।
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने बड़ा बयान दिया है। देर रात करीब बारह बजे जब प्रशासन से वार्ता विफल हो गई। बेनीवाल ने कहा कि हमने सारी मांगें कर ली, लेकिन प्रशासन नहीं मान रहा है। अब लाठी-भाटा हो सकता है। इससे पहले बेनीवाल ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राज्य के सैनिक कल्याण मंत्री राज्यवर्धन सिंह से बातचीत की थी। लेकिन सहमति नहीं बन सकी। कस्वां का शव अभी भी सरकारी अस्पताल में रखा हुआ है।
जिन मांगों को लेकर प्रशासन और कस्वां परिजनों के बीच ठनी हुई है, वो अंतिम संस्कार से पहले फायरिंग करना है। प्रशासन का कहना है कि शहीद का दर्जा मिलने तक फायरिंग नहीं हो सकती। वहीं परिजन इस बात पर सहमत है कि सेना नहीं कर सकती है तो पुलिस ही ये काम कर दे। जिला प्रशासन के अधिकारी इसके लिए भी तैयार नहीं है। कस्वां के शव को तिरंगे में लपेटकर अंतिम संस्कार स्थल तक ले जाने पर सहमति बनी है लेकिन हवाई फायरिंग नहीं करने पर दोनों पक्षों में फिर से ठन गई।
आंदोलन से जुड़े नेता मानते हैं कि कस्वां को शहीद का दर्जा कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद ही मिलेगा। परिजन और आंदोलनकारी नेता प्रशासन के साथ खड़े थे। लेकिन हवाई फायरिंग की बात न मानने के कारण शव लेने पर अड़ गए हैं। कस्वां की पत्नी को संविदा नौकरी देने पर प्रशासन ने सहमति जताई हैं। लेकिन सरकारी नौकरी की मांग पर कोई सहमति नहीं बनी। इधर बीकानेर-जयपुर नेशनल हाइवे बंद होने से लोग परेशान हैं। म्यूजियम चौराहा पिछले तीन दिनों से बंद है, जिससे अन्य रास्तों पर ट्रैफिक बढ़ गया है।