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जयपुर बना गौ-सम्मान दौड़ का साक्षी— ‘गौ-रन जयपुर 2025’ में उमड़ा जनसैलाब, 25 हज़ार से अधिक लोगों ने लगाई दौड़
साधु-संतों की प्रेरक उपस्थिति, इंडिया और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज
जयपुर, 16 नवंबर 2025। गुलाबी नगरी जयपुर ने रविवार को इतिहास रच दिया। देसी गौवंश के संरक्षण को समर्पित ‘गौ-रन जयपुर 2025’ में नज़ारा किसी विशाल पर्व जैसा था। 25 हज़ार से अधिक प्रतिभागियों की उपस्थिति ने इसे न केवल राजस्थान, बल्कि देश का सबसे बड़ा गौ-समर्पित मैराथन बना दिया।
देश-विदेश से आए 8 हज़ार प्रोफेशनल धावक, किसानों, गौपालकों, विद्यार्थियों, सामाजिक संस्थाओं और युवा समूहों की ऊर्जा ने जयपुर की सड़कों को उत्साह और आस्था के रंगों से भर दिया। कार्यक्रम में साधु-संतों की मौजूदगी, प्रवचन और भजन ने इसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहतरीन आयाम दिया।
देसी गायों के संरक्षण पर आधारित यह अनूठा आयोजन इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो गया, जिसने जयपुर की पहचान को एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चमका दिया।
“धरती से नाता – देश, खेत और गौमाता!” बना आयोजन का स्वर
‘गौ राष्ट्र यात्रा’ और ‘गौ महाकुंभ’ द्वारा आयोजित इस मैराथन को सिर्फ एक स्पोर्ट्स इवेंट नहीं, बल्कि राष्ट्रव्यापी जन-जागरण आंदोलन के रूप में देखा गया। स्वास्थ्य, संस्कृति और सामाजिक चेतना का यह संगम देसी गोवंश की उपयोगिता और संरक्षण संदेश को व्यापक स्तर पर स्थापित करता दिखाई दिया।
तीन श्रेणियों में हुई प्रतिस्पर्धा
दौड़ अल्बर्ट हॉल संग्रहालय के दक्षिण द्वार से शुरू होकर वहीं समाप्त हुई।
मुख्य श्रेणियाँ—
10 किमी (Timed)
5 किमी (Timed)
3 किमी फन रन
10 किमी ओपन कैटेगरी— विजेताओं ने मारी बाज़ी
पुरुष वर्ग
1. गौरव कसाना — 15:05
2. राजेश मौर्या — 15:08
3. हेमंत यादव — 15:21
महिला वर्ग
1. भगवती दिओरा — 17:39
2. अंकिता — 18:11
3. रोज़ी — 18:56
मुख्य संयोजक का संदेश
आयोजक भारत सिंह राजपुरोहित ने कहा—
“देसी गायों के संरक्षण को लेकर यह विश्व-स्तरीय पहल है। पहली बार किसी शहर ने गाय संरक्षण को स्पोर्ट्स के साथ जोड़कर इतना बड़ा संदेश दिया है। हमारा उद्देश्य है कि देश में देसी गौवंश की महत्ता और उसकी रक्षा को लेकर एक मजबूत राष्ट्रीय चेतना विकसित हो।”
गौ-संरक्षण और फिटनेस का नया मॉडल
‘गौ-रन जयपुर 2025’ ने यह साबित किया कि जब परंपरा, सामाजिक जागरूकता और फिटनेस एक साथ आते हैं, तो परिणाम सिर्फ आयोजन नहीं, बल्कि सकारात्मक परिवर्तन की मिसाल बनते हैं।
जयपुर का यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए गौ-संरक्षण, संस्कृति और स्वस्थ जीवनशैली का प्रेरक दस्तावेज बनकर इतिहास में दर्ज हो गया
