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जयपुर-हाई कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही उसमें उत्पन्न होने वाले तथ्यात्मक विवादों को लेकर सरकार से पूछा है कि इन विवादों के निस्तारण का सरकार के पास कोई रास्ता है क्या? कोर्ट ने सवाल के जवाब के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव और विधि विभाग के प्रमुख शासन सचिव को 22 नवम्बर को कोर्ट में उपस्थित रहने के लिए कहा हैं।
जस्टिस समीर जैन की अदालत ने आज यह टिप्पणी एएनएम भर्ती परीक्षा से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की। अदालत ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होते ही कोर्ट में याचिकाओ की बाढ़ आ जाती हैं। खासतौर पर चिकित्सा, शिक्षा और पुलिस विभाग में भर्ती प्रक्रिया शुरू होते ही बड़ी संख्या में कोर्ट में याचिकाएं दायर होती हैं।
विभाग स्तर पर कोई विकल्प हो सकता है
सरकार की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता अर्चित बोहरा ने बताया कि महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एएनएम) के करीब 4800 पदों पर मई 2023 को भर्ती निकली थी। चयन की फाइनल लिस्ट जारी होने के बाद 15 नवम्बर 2024 को नियुक्तियां देना भी शुरू हो गया हैं।
इस बीच अलग-अलग तथ्यात्मक विवादों, जैसे श्रेणी परिवर्तन, दिव्यांगता, अनुभव प्रमाण पत्र सहित अन्य तकनीकी खामियों को लेकर सैकड़ों याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूछा है कि इन तथ्यात्मक विवादों के निपटारे के लिए क्या विभाग स्तर पर ग्रीवेंस अथॉरिटी बनाई जा सकती हैं। जिससे अभ्यर्थी सीधे कोर्ट में ना आकर पहले अथॉरिटी में अपील कर सके।
उन्होने कहा कि हमने कोर्ट को बताया कि विभाग स्तर पर परिवेदना समिति होती है। लेकिन वो समिति समय के लिए ही परिवेदनाएं सुनती हैं। लेकिन इससे कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ।
भर्तियां कोर्ट में अटक जाती है
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे मामलों में अदालत विशेषज्ञ नही है। लेकिन उसे फिर भी निर्धारित समय के भीतर मामले को सुनकर निर्णय देना होता हैं। क्योंकि ऐसा नहीं होने पर संपूर्ण चयन प्रक्रिया प्रभावित होती है।
लेकिन मामलों की अधिकता के चलते भर्तियां हाई कोर्ट में अटक जाती हैं। ऐसे में तथ्यात्मक विवादों के निस्तारण का सबसे प्रभावी उपाय क्या हो सकता हैं। इस बारे में सरकार बताए।