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जयपुर-जयपुर। सस्ती बिजली के उत्पादन में सिरमौर राजस्थान अब और तेजी से आगे बढ़ेगा। प्रदेश में चार बड़े सोलर पार्क डवलप हो रहे हैं, जिससे हर साल 1250 करोड़ यूनिट सस्ती बिजली का उत्पादन होगा। 7375 मेगावाट क्षमता के इन प्रोजेक्ट्स से सरकार की तिजोरी में करीब 5 हजार करोड़ रुपए आएंगे। यह राशि भूमि लीज, जीएसटी, आरआरडीएफ के जरिए आएगी।
खास यह है कि ये सभी प्रोजेक्ट्स राजस्थान की बिजली कंपनियों की मुख्य भागीदारी है। इनमें केन्द्र सरकार के उपक्रम और निजी कंपनियां निवेश करेगी। विषय विशेषज्ञों के मुताबिक इससे अगले कुछ वर्षों में बड़ा बदलाव नजर आएगा। हालांकि, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इसमें से प्रदेश को भी सस्ती बिजली मिले। क्योंकि अभी तक केवल 810 मेगावाट के एक सोलर पार्क से ही प्रदेश को सस्ती बिजली मिलने की राह खुल पाई है।
मुख्यमंत्री भजनलाल का फोकस
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। ऊर्जा विभाग और बिजली कंपनियों के अधिकारियों को कह चुके हैं कि वे जनता को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने पर फोकस करें। इसके लिए न केवल अक्षय ऊर्जा (सोलर व विंड एनर्जी) का उत्पादन बढ़ाएं बल्कि इस सस्ती बिजली की आपूर्ति प्रदेश में किस तरह बढ़े, इसका भी एक्शन प्लान बनाएं।
दो प्रोजेक्ट में अदाणी के साथ ज्वाइंट वेंचर
प्रदेश में सोलर पार्क के दो और प्रोजेक्ट लगेंगे। 2-2 हजार मेगावाट के दोनों ही प्रोजेक्ट में राज्य सरकार की भी भागीदारी रहेगी। एक प्रोजेक्ट जैसलमेर के मोहनगढ़ और दूसरा जालौर में लगाया जाएगा।
यह करें तो बने बात
भले ही राजस्थान सोलर हब बन गया हो लेकिन हकीकत यह है कि यहां सौर ऊर्जा उत्पादन करीब 22 हजार मेगावाट है और 23 प्रतिशत सस्ती बिजली ही प्रदेशवासियों को मिल रही है। कंपनियां बाकी बिजली दूसरे राज्यों में बेच रही है। इसके लिए जिस भी कंपनी को सोलर पार्क की स्वीकृति दें, उनमें से बिजली का कुछ हिस्सा प्रदेश को मिले, यह सुनिश्चित किया जा सके। इससे महंगी बिजली खरीदने और विद्युत कटौती की नौबत कम पड़ेगी।