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जयपुर-प्रदेश की छह सीटों पर होने वाले विधानसभा उप चुनाव को लेकर भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने बड़ा फैसला किया है। बीएपी किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। बीएपी इस बार अकेले चुनाव लड़ने जा रही है। बीएपी चार सीटों चौरासी, सलूंबर के साथ दौसा और देवली- उनियारा में अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेगी।
बीएपी के चार सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने की वजह से कांग्रेस और बीजेपी के समीकरण बिगड़ेंगे। पहले कांग्रेस के साथ गठबंधन की चर्चा थी, लेकिन गठबंधन नहीं होने की वजह से अब उप चुनाव में नए समीकरण बनने की संभावना है।
बीएपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर जितेंद्र मीणा ने भास्कर से कहा कि फिलहाल गठबंधन को लेकर किसी पार्टी से कोई चर्चा नहीं हुई है। बीएपी चार सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। हम कोई गठबंधन करने नहीं जा रहे हैं।
सांसद रोत का भी गठबंधन से इनकार बीएपी सांसद राजकुमार रोत भी गठबंधन से इनकार कर रहे हैं। रोत ने कहा कि अभी किसी से गठबंधन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। 99 फीसदी संभावना है कि पार्टी अपने दम पर स्वतंत्र चुनाव लड़ने जा रही है। हम जनता के मुद्दों पर लड़ते हैं। अब तक जिस तरह जनता ने भरपूर सहयोग दिया है, इस तरह का सहयोग हमें उप चुनाव में मिलेगा, क्योंकि हम सीधे ग्रास रूट के मुद्दे उठा रहे हैं।
लोकसभा में कांग्रेस ने बीएपी को समर्थन दिया था लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बीएपी को समर्थन दिया था, लेकिन इस समर्थन में भी पेंच आ गया था। बांसवाड़ा लोकसभा और बागीदौरा विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार मैदान में डटे रहे थे। हालांकि कांग्रेस ने उन उम्मीदवारों को मैदान से हटने को कहा था, लेकिन नाम वापसी की अंतिम तारीख तक उम्मीदवार गायब हो गए थे और उन्होंने नाम वापस नहीं लिया था। इस वजह से भी बीएपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन जैसी सियासी गर्मजोशी नहीं रही थी। यही कारण है कि इस बार बीएपी गठबंधन को लेकर कांग्रेस के प्रति उतनी नरम नहीं दिख रही है।
बीएपी के अकेले चुनाव लड़ने से बदलेंगे समीकरण बीजेपी का आदिवासी इलाकों में प्रभाव है। बांसवाड़ा सीट पर राजकुमार रोत सांसद हैं। रोत पहले विधायक थे। बीएपी के तीन एमएलए हैं। रोत के सांसद बनने के बाद खाली हुई सीट पर उप चुनाव हो रहे हैं। सलूंबर सीट पर हालांकि बीजेपी जीती थी, लेकिन बीएपी उम्मीदवार ने 50000 से भी ज्यादा वोट लिए थे।
उप चुनाव में बीएपी अगर 4 सीटों पर मैदान में रहती है तो बीजेपी विरोधी वोट दो जगह बंटेगा और इसका कांग्रेस को कई जगह पर सीधा नुकसान होगा। बीएपी ने पहली बार दौसा और देवली-उनियारा से भी चुनाव लड़ने का ऐलान करके समीकरण प्रभावित करने का मैसेज दे दिया है।
कांग्रेस में गठबंधन को लेकर एकमत नहीं कांग्रेस में बीएपी के साथ गठबंधन करने को लेकर एकराय नहीं है। कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग गठबंधन करने का समर्थक है। वहीं एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जिसका मानना है कि पार्टी को अपने दम पर ही उप चुनाव में जाना चाहिए। कांग्रेस चाहती है कि बीएपी सलूंबर सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारे, बदले में वो चौरासी सीट छोड़ने को तैयार है।