PALI SIROHI ONLINEइटावा(कोटा)-ईआरसीपी कैनाल परियोजना तहत बने प्रदेश के पहले नोनेरा-ऐबरा बांध की टेस्टिंग शनिवार रात 12 बजे से शुरू हो गई। इसके तहत कालीसिंध नदी के पानी को बांध में भरा जा रहा है। यह टेस्टिंग 12 सितंबर तक की जाएगी। टेस्टिंग के दौरान आसपास के क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति का आकलन भी होगा।टेस्टिंग में 217 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बांध में भरा जाएगा। टेस्टिंग के दौरान स्टेट हाईवे-70 (कोटा से श्योपुर) पर आवाजाही पूरी तरह बंद कर दी गई है। देर रात से ही रास्ते को बैरिकेडिंग लगाकर बंद कर दिया गया है और पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं।217 मिलियन क्यूबिक मीटर भरा जाएगा पानीजल संसाधन विभाग के अनुसार, देर रात 12 बजे से टेस्टिंग की प्रक्रिया शुरू की गई थी। बांध की भराव क्षमता 226.65 मिलियन क्यूबिक मीटर है। इसे 217 मिलियन क्यूबिक मीटर तक भरा जाएगा। दोपहर तक बांध में 209.15 मिलियन क्यूबिक मीटर जलस्तर था। जल संसाधन विभाग के एईएन दुलीचंद प्रणामी ने बताया- बांध में 39 हजार क्यूसेक पानी की आवक एक से डेढ़ घंटे में हो रही है। इसके चलते बांध भरने में 3 दिन लगेंगे।टेस्टिंग की शुरुआत के 2 दिनों में पानी धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है। इसके बाद पानी और बढ़ाया जाएगा। जल संसाधन विभाग के अनुसार 10 सितंबर तक पानी की स्थिति स्थिर हो जाएगी। तब इस क्षेत्र में बांध का क्या असर रहेगा, वह पूरी तरह से साफ हो जाएगा।कालीसिंध नदी के आसपास गांवों में अलर्ट जारीनोनेरा बांध में जलभराव के कारण ढिपरी-कालीसिंध पुलिया पर 5 फीट पानी बह रहा है। इसके चलते स्टेट हाईवे 70 (कोटा-श्योपुर) पर आवागमन पूरी तरह से बंद है। प्रशासन ने आसपास के गांवों में 5 दिन की चेतावनी जारी की है।इटावा के डीएसपी शिवम जोशी ने बताया कि पुलिया पर आवागमन को पूरी तरह से रोक दिया गया है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए इटावा और बूढ़ादीत पुलिस को दोनों ओर तैनात किया गया है। कोटा-इटावा के बीच आवागमन को सुचारू बनाए रखने के लिए वैकल्पिक मार्ग तैयार किए गए हैं।8 से 12 सितंबर तक कोटा जाने वाले यात्री सीसवाली और अंता होते हुए इटावा पहुंच सकेंगे। ट्रैफिक को गेता, माखीदा और लबान के रास्ते से चलाया जाएगा। साथ ही कालीसिंध नदी के आसपास के गांवों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।जैमिनी और सुपरिटेंडेंट इंजीनियर अनिल यादव ने बताया कि बांध का निर्माण पूरा हो चुका है। इसमें कुल 27 गेटों का निर्माण किया गया है। 8 सितंबर से 12 सितंबर तक इन गेटों की टेस्टिंग की जाएगी।उन्होंने बताया कि बांध की भराव क्षमता 226.65 मिलियन क्यूबिक मीटर है, इसमें से 54 क्यूबिक मीटर पानी पीने के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। इस परियोजना के तहत 442 करोड़ रुपए की लागत से कोटा, बूंदी, बारां के 6 कस्बों और 749 गांवों को पेयजल आपूर्ति की जाएगी।6 साल में पूरा हुआ बांध का निर्माणनोनेरा बांध का निर्माण 13 अक्टूबर 2018 में शुरू हुआ था। 13 अक्टूबर 2022 तक कार्य पूरा होना था। कोविड के कारण निर्माण कार्य पूरा करने की डेडलाइन 13 अक्टूबर 2023 कर दी गई। विदेशों से पार्ट्स आने में देरी के कारण फिर से इसकी डेडलाइन बढ़ाई गई। 30 जून 2024 तक 1026.32 करोड़ की लागत से निर्माण हुआ।पीने के लिए सुरक्षित रखा जाएगा 54 क्यूबिक मीटर पानी जल संसाधन विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर आरके जैमिनी और सुपरिटेंडेंट इंजीनियर अनिल यादव ने बताया कि बांध का निर्माण पूरा हो चुका है। इसमें कुल 27 गेटों का निर्माण किया गया है। 8 सितंबर से 12 सितंबर तक इन गेटों की टेस्टिंग की जाएगी।उन्होंने बताया कि बांध की भराव क्षमता 226.65 मिलियन क्यूबिक मीटर है, इसमें से 54 क्यूबिक मीटर पानी पीने के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। इस परियोजना के तहत 442 करोड़ रुपए की लागत से कोटा, बूंदी, बारां के 6 कस्बों और 749 गांवों को पेयजल आपूर्ति की जाएगी।क्या है ERCP?प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दूसरे कार्यकाल में 2017 में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का खाका तैयार किया गया था। इस परियोजना के अंतर्गत पार्वती, चंबल और काली सिंध नदियों को जोड़ने की रूपरेखा तैयार की गई थी। इसके माध्यम से पूर्वी राजस्थान के जयपुर, अजमेर, करौली, टोंक, दौसा, सवाई माधोपुर, अलवर, बारां, झालावाड़, भरतपुर, धौलपुर, बूंदी और कोटा को जल संकट से राहत मिलेगी। यह परियोजना न केवल पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी, बल्कि किसानों को सिंचाई के लिए भी आवश्यक पानी उपलब्ध कराएगी। हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के बीच इस परियोजना को लेकर एमओयू हुआ था।