जालोर ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करवाने के लिए लिखा पत्र । जालोर/अमृत सिंह रावणा-राजपूत।राजस्थान विधानसभा के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने राज्य की उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी को जालोर के गौरवमयी वास्तविक इतिहास को जानने की नितान्त आवश्यकता के मद्देनजर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा जालोर स्थित तोपखाना, जालोर दुर्ग व उसके आस-पास इलाके का सर्वेक्षण करवाकर प्राप्त अवशेषों पर शोध एवं अध्ययन द्वारा नवीन ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करवाने के लिए पत्र लिखा है।
मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने पत्र के माध्यम से बताया कि राजस्थान के वीर सपूतों की सूची में वीर वीरमदेव एवं कान्हड़देव का नाम राजस्थान की सांस्कृतिक एवं राजनीतिक विरासत में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।किन्तु पर्याप्त शोध एवं पुरातात्विक खोज के अभाव में जालोर के गौरवशाली इतिहास के कई पहलुओं से इतिहासकार भी अनभिज्ञ है। ऐसे में सक्षम स्तर से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को निर्देशित करावें कि जालोर स्थित तोपखाना, जालोर दुर्ग एवं उसके आस-पास के इलाके में सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जावें कि कान्हड़देव, वीर वीरमदेव इत्यादि शूरवीरों के महल/निवास स्थल, उनकी रचनाएं एवं तत्कालीन कला, राजनीतिक व सांस्कृतिक के स्वरूप किस स्वरूप में हैं। तदुपरान्त प्राप्त अवशेषों के आधार पर शोध एवं अध्ययन द्वारा इस वीर भूमि के गौरवशाली इतिहास के नवीन तथ्यों को सामने लाया जावें जिससे वर्तमान एवं भावी पीढ़ी इतिहास के इन अनछुएं पहलुओं को जानकर प्रोत्साहित व गौरवान्वित हो सकें। । जालोर/अमृत सिंह रावणा-राजपूत।
राजस्थान विधानसभा के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने राज्य की उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी को जालोर के गौरवमयी वास्तविक इतिहास को जानने की नितान्त आवश्यकता के मद्देनजर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा जालोर स्थित तोपखाना, जालोर दुर्ग व उसके आस-पास इलाके का सर्वेक्षण करवाकर प्राप्त अवशेषों पर शोध एवं अध्ययन द्वारा नवीन ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करवाने के लिए पत्र लिखा है। मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने पत्र के माध्यम से बताया कि राजस्थान के वीर सपूतों की सूची में वीर वीरमदेव एवं कान्हड़देव का नाम राजस्थान की सांस्कृतिक एवं राजनीतिक विरासत में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।किन्तु पर्याप्त शोध एवं पुरातात्विक खोज के अभाव में जालोर के गौरवशाली इतिहास के कई पहलुओं से इतिहासकार भी अनभिज्ञ है। ऐसे में सक्षम स्तर से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को निर्देशित करावें कि जालोर स्थित तोपखाना, जालोर दुर्ग एवं उसके आस-पास के इलाके में सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जावें कि कान्हड़देव, वीर वीरमदेव इत्यादि शूरवीरों के महल/निवास स्थल, उनकी रचनाएं एवं तत्कालीन कला, राजनीतिक व सांस्कृतिक के स्वरूप किस स्वरूप में हैं। तदुपरान्त प्राप्त अवशेषों के आधार पर शोध एवं अध्ययन द्वारा इस वीर भूमि के गौरवशाली इतिहास के नवीन तथ्यों को सामने लाया जावें जिससे वर्तमान एवं भावी पीढ़ी इतिहास के इन अनछुएं पहलुओं को जानकर प्रोत्साहित व गौरवान्वित हो सकें।