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डूंगरपुर-करंट लगने से घायल हुए एफआरटी कार्मिक की इलाज के दौरान 6 दिन बाद मौत हो गई। परिजनों ने शव को एम्बुलेंस में रखकर डूंगरपुर बिजली विभाग के एसई ऑफिस के सामने प्रदर्शन शुरू कर दिया। करीब 7 घंटे बाद परिजनों और बिजली निगम के समझौता हुआ। जिसके बाद परिजन शव को लेकर गांव की ओर रवाना हो गए। हादसा 6 दिन पहले कोतवाली थानान्तर्गत शहर के हॉस्पिटल जीएसएस पर काम करते समय हुआ था।
7 घंटे तक प्रदर्शन, 10 लाख मुआवजा और कंपनी में नौकरी
करंट से एफआरटी कार्मिक की मौत को लेकर परिजन 51 लाख का मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की थी। एसडीएम नीरज मिश्र व डूंगरपुर पुलिस उपाधीक्षक राजकुमार राजोरा मौके पर पहुंचे थे और परिजनों से समझाइश की। करीब 7 घंटे के बाद परिजनों और बिजली निगम के बीच समझौता हुआ। मृतक के परिजनों को एफआरटी कार्मिक लगाने वाली कंपनी की ओर से 10 लाख रुपए की मुआवजा राशि, बीमा एवं अन्य परिलाभ देने के साथ मृतक के एक परिजन को कंपनी में नौकरी देने पर सहमति बनी। इसके बाद परिजन शव लेकर अपने गांव की ओर रवाना हो गए।
14 अगस्त को हुआ था हादसा
कोतवाली थाना पुलिस के अनुसार 14 अगस्त को शहर के हॉस्पिटल जीएसएस पर शटडाउन लेकर बिजली निगम के 2 कार्मिक व एफआरटी का कार्मिक रमेश अहारी काम कर रहे थे। इस दौरान काम करते समय तीनों को करंट लग गया। रमेश के ऊंचाई पर काम करने के दौरान करंट लगा और वह सिर के बल नीचे गिरा। जिससे वह गंभीर घायल हो गया। वहीं, अन्य 2 कार्मिक मामूली घायल हुए। गंभीर घायल रमेश को जिला अस्पताल से उदयपुर के लिए रेफर किया गया था। जहां पर उसका इलाज चल रहा था। मंगलवार सुबह करीब ढाई बजे रमेश की इलाज के दौरान मौत हो गई। मौत के बाद परिजन शव एम्बुलेंस में डालकर डूंगरपुर में बिजली निगम के एसई ऑफिस पहुंचे थे।
परिजनों ने शट डाउन के बाद भी करंट लगने से मौत मामले में बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया था। परिजन 51 लाख का मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग कर रहे थे।