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चित्तौडगढ़-अपने ही दोस्त की चाकू घोंप कर हत्या करने वाले 2 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। चित्तौड़गढ़ में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश क्रमांक-2 के न्यायाधीश विनोद कुमार बैरवा ने अपने फैसले में एक आरोपी पर 45 हजार और दूसरे आरोपी पर 40 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
मामला 2 साल पुराना है। न्यायाधीश ने आरोपियों द्वारा सजा कम करने की रिक्वेस्ट को भी रिजेक्ट करते हुए कहा कि यह गंभीर आरोप है, इसकी सजा कम नहीं की जा सकती है।
होटल में मामूली बात पर हुआ था झगड़ा
अपर लोक अभियोजक संख्या 2 अब्दुल सत्तार खान ने बताया कि 7 जून 2022 को रात को करीब 7-8 दोस्त एक साथ अपने घर तुबाड़िया से आराधना होटल में खाना खाने आए थे। खाना खाने के दौरान उनके बीच मामूली बात पर झगड़ा हुआ था। फिर मामला वही खत्म हो गया था। सभी अपने घर जाने के लिए निकले और खान तिराहे से आगे जीएसएस के पास दशरथ बंजारा, राकेश बंजारा, लक्ष्मण गाडरी आपस में लड़ने लगे। लड़ाई इतनी बढ़ गई कि राजेश बंजारा और लक्ष्मण गाडरी दशरथ के साथ मारपीट करने लगे। फिर राकेश बंजारा ने चाकू से हत्या कर दी। बीच बचाव करने गया जगदीश चंद्र सुखवाल को भी राकेश बंजारा ने चाकू मार दी।
जगदीश अपनी जान बचाता हुआ पास के गांव पहुंचा और मदद मांगी। मौके पर लोग पहुंचे तो राकेश बंजारा और लक्ष्मण गाडरी दोनों भाग निकले। घटनास्थल पर दशरथ बंजारा घायल पड़ा हुआ था। जबकि जगदीश को पहले जिला हॉस्पिटल और बाद में उदयपुर रेफर कर दिया। वहीं, दशरथ की मौत हो गई। जगदीश के बयान के आधार पर हत्या का मामला दर्ज किया गया। चंदेरिया पुलिस ने मामला दर्ज कर कोर्ट में चालान पेश किया।
मेडिकल रिपोर्ट और FSL रिपोर्ट को माना ठोस सबूत अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश क्रमांक-2 के न्यायाधीश विनोद कुमार बैरवा ने दोनों पक्षों को सुना। अभियोजक पक्ष की ओर से 21 गवाह और 43 डॉक्यूमेंट्स पेश किए गए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने राकेश पुत्र रतनलाल बंजारा और लक्ष्मण पुत्र सूरजमल गाडरी को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस मामले में राकेश के पास चाकू होने के कारण उस पर 45 हजार रुपए और लक्ष्मण पर 40 हजार रुपयों का जुर्माना लगाया गया। न्यायाधीश ने मामले में डॉक्टर की मेडिकल रिपोर्ट और मृतक का पोस्टमार्टम रिपोर्ट को ठोस सबूत माना। इसके अलावा मौके से मिली खून से सनी मिट्टी, जगदीश के खून से भरे कपड़े, चाकू और FSL रिपोर्ट को मुख्य डॉक्यूमेंट्स माना।
सजा कम करने की रिक्वेस्ट की थी
न्यायाधीश विनोद कुमार बैरवा से आरोपियों की और से उनके वकील ने सजा कम करने की रिक्वेस्ट की थी। लेकिन न्यायाधीश ने इसे गंभीर प्रवृत्ति का अपराध माना और सजा कम करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह जानलेवा घटना थी जिसमें एक व्यक्ति की जान चली गई और दूसरा गंभीर घायल था। इसके लिए सजा कम नहीं की जा सकती। बता दे कि आरोपी राकेश कुमार 2 साल से जेल में ही है, उसे जमानत नहीं मिली। जबकि लक्ष्मण को जमानत मिली थी और वो बाहर ही था। दोनों को ही जेल भेज दिया गया।