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बाली उपखंड के चामुंडेरी में रेलवे अंडर ब्रिज की जलभराव समस्या बनी मुसीबत, ग्रामीणों ने दी चुनाव बहिष्कार की चेतावनी, जरूररत पड़ी तो करेगे घरना प्रदर्शन
बाली। बाली उपखंड के चामुंडेरी गांव स्थित रेलवे अंडर ब्रिज निर्माण के साथ ही जल भराव की समस्या अब ग्रामीणों के धैर्य की परीक्षा ले रही है। लंबे समय से समाधान न होने के कारण आक्रोशित ग्रामीणों ने अब आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है और ओवरब्रिज बनाकर स्थाई समाधान न होने पर आगामी चुनावों के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। साथ ही इस अंडर ब्रिज से निकलने वाले आसपास के सभी गावो के ग्रामीणों का भी समर्थन सहयोग के लिए चामुंडा माता सघर्ष समिति की स्थापना की गई है चामुंडा माता सघर्ष समिति ओर चामुंडेरी विकास कमेटी स्थानीय ओर आसपास के लुन्दाडा लालपुरा मालनु चिमनपुरा वेलार सहित विभिन्न गांवों में कमेटी जाकर समस्या समाधान के लिए बगैर राजनीति द्वेषता से एकता का संदेश देते हुए ओवर ब्रिज बनाने की माग को लेकर विभिन्न गांवों के ग्रामीणों ओर जनप्रतिनिधियों से सहयोग मांग कर आवश्यक कार्यवाही करेगी।
चामुंडेरी शीतला माताजी मन्दिर प्रांगण में 36 कॉम की बैठक में निर्णय लिया गया कि ज्ञापन डाक से संबंधित विभागों को भेजने के साथ पाली सांसद पी पी चौधरीं ओर स्थानीय बाली विधायक पुष्पेंद्र सिंह राणावत को ग्रामीण जाकर ज्ञापन देगे ओर सासद ओर विधायक ने अगर रेल मंत्री से समय ले लिया तो ग्रामीण एकता के साथ दिल्ली जयपुर भी जाने को तैयार रहेंगे।
तालाब में तब्दील हुआ चामुंडेरी का रेलवे अंडर ब्रिज
ग्रामीणों का कहना है कि रेलवे अंडर ब्रिज में पानी निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां हर समय पानी भरा रहता है। हल्की बारिश में भी यह अंडर ब्रिज तालाब का रूप ले लेता है, जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है। पैदल राहगीरों और दुपहिया वाहन चालकों के लिए यहां से गुजरना जान जोखिम में डालने जैसा है।स्कूली बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है।
प्रशासन की अनदेखी से बढ़ा आक्रोश
स्थानीय लोगों के अनुसार, उन्होंने कई बार रेलवे प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस समस्या से अवगत कराया है, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं हुआ है। “नासूर” बन चुकी इस समस्या के कारण कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन की नींद नहीं टूट रही।
‘रोड नहीं तो वोट नहीं’
प्रशासनिक उपेक्षा से नाराज चामुंडेरी के ग्रामीणों ने अब स्पष्ट कर दिया है कि यदि जल्द से जल्द इस जल भराव की समस्या का स्थाई समाधान के लिए ओवर ब्रिज स्वीकृत नहीं किया गया, तो वे आगामी चुनावों में मतदान नहीं करेंगे। ग्रामीणों ने “समस्या का समाधान नहीं, तो वोट नहीं” के नारे के साथ विरोध प्रदर्शन तेज करने की चेतावनी दी है।
चामुंडेरी का अंडर ब्रिज कोई नदी या तालाब नहीं, बल्कि वो रास्ता है जहाँ से रोजाना हजारों लोग गुजरते हैं। लेकिन रेलवे और प्रशासन की लापरवाही के चलते यह रास्ता अब ‘मौत का कुआं’ बन चुका है। अंडर ब्रिज में कई-कई फीट पानी भरा रहता है, मुख्यमंत्री के दौरे को लेकर अंडर ब्रिज को अधिकारियों ने सफाई करवाकर लीपापोती की थी, अंडर ब्रिज में दुपहिया वाहन हो या पैदल यात्री, यहाँ से गुजरना किसी जंग जीतने से कम नहीं है।इस समस्या को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे कई बार रेलवे अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन सिवाय आश्वासन के उन्हें कुछ नहीं मिला। अब जब चुनाव नजदीक हैं, तो ग्रामीणों ने भी आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है।
ग्रामीणों ने कहा अंडर ब्रिज से पैदल बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, बुजुर्ग बीमार हैं तो अस्पताल नहीं ले जा सकते। हर बार शिकायत करते हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। अब हमने तय किया है कि ओवर ब्रिज की स्वीकृति देकर समाधान नहीं किय्या तो गाँव का कोई भी व्यक्ति वोट देने नहीं जाएगा। ना उम्मीदवार आवेदन करेगा। ग्रामीणों का आरोप है कि अंडर ब्रिज के निर्माण के समय तकनीकी खामियां छोड़ी गईं, जिससे पानी की निकासी नहीं हो पाती। स्थिति यह है कि कई गांवों का संपर्क भी मुख्य मार्ग से कटने की कगार पर है। गुस्से में आए ग्रामीणों ने अब “रोड नहीं तो वोट नहीं” और “समाधान नहीं तो मतदान नहीं” के नारे बुलंद कर दिए हैं।
ग्रामीणों ने बैठक में निर्णय लिया कि हम प्रशासन को अल्टीमेटम दे रहे हैं। हमें झूठे वादे नहीं चाहिए। चामुंडेरी का यह रेलवे अंडर ब्रिज ‘विकास’ के दावों की पोल खोल रहा है। एक तरफ सरकार स्मार्ट विलेज की बात करती है, तो दूसरी तरफ यहाँ के लोग अपने गाव से पैदल अंडर ब्रिज से निकलने के लिए भी मोहताज हैं। ग्रामीणों की चेतावनी साफ़ है- समस्या का समाधान नहीं, तो लोकतंत्र के महापर्व में उनकी हिस्सेदारी नहीं। अब देखना होगा कि प्रशासन कुंभकर्णी नींद से कब जागता है।

