PALI SIROHI ONLINE
पाली बाली उपखण्ड के चामुंडेरी ग्राम में आकाश में आकाश में आज प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी वर्णो का एक विशालकाय वृत्ताकार के रूप में इंद्रधनुष दिखाई दिया। यह शानदार नजारा चामुंडेरी सरपंच जसवंत राज मेवाड़ा के बंगले का है। लोगो ने अपने अपने घरों की छत गलियों में खड़े रहकर इंद्र धनुष के दर्शन कर अच्छी बारिश की कामना की
इंद्र धनुष क्यो बनता है
वर्षा अथवा बादल में पानी की सूक्ष्म बूँदों अथवा कणों पर पड़नेवाली सूर्य किरणों का विक्षेपण (डिस्पर्शन) ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का कारण है। सूर्य की किरणें वर्षा की बूँदों से अपवर्तित तथा परावर्तित होने के कारण इन्द्रधनुष बनाती हैं। इंद्रधनुष सदा दर्शक की पीठ के पीछे सूर्य होने पर ही दिखाई पड़ता है।
सूर्य का प्रकाश श्वेत रंग का होता हैं जिसमें सात रंग होते हैं और जब यह श्वेत प्रकाश वर्षा के छोटे-छोटे बूंद से होकर गुजरता है तो सात रंगों में विभाजित हो जाता है और यही सात रंग सूर्य के विपरीत दिशा में इंद्रधनुष के रूप में दिखाई देता है.
जब सूर्य की रोशनी इन पानी की बूंदों में प्रवेश करती है, तो उनके भीतर अपवर्तन, फैलाव और परावर्तन होता है। जब आप इन पानी की बूंदों से निकलने वाली रोशनी को देखते हैं, तो यह इंद्रधनुष के रूप में दिखाई देता है
इन्द्रधनुष का शाब्दिक अर्थ इन्द्र का धनुष है और हिन्दू धर्म के अनुसार इन्द्र देव की इच्छा से बारिश होती है और बारिश के बाद जो सतरंगी धनुषाकार संरचना बनती है उसे इन्द्रधनुष कहते है
बारिश के बाद इन्द्रधनुष का बनना एक सामान्य प्रक्रिया है सूर्य का प्रकाश पानी की बूंदो से अपवर्तित या परावर्तित होता है तो विक्षेपण होने से सूर्य का प्रकाश सात रंग की धनुषाकार पट्टियों मे दिखाई देता है।
इंद्रधनुष तब बनता है जब सूर्य की रोशनी वर्षा की बूंदों से होकर पर्यवेक्षक की आंखों में बिखरती है। अधिकांश वर्षा की बूंदें अक्सर दर्शाए जाने वाले ‘अश्रु-बूंद’ आकार की बजाय गोलाकार होती हैं और यह गोलाकार आकार ही इंद्रधनुष को देखने के लिए परिस्थितियां प्रदान करता है
वीडियो