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भीलवाड़ा-शादी के 12 साल बाद जब संतान की मन्नत पूरी हुई तो एक दंपती नन्हे बच्चे को लेकर माता के दरबार की ओर पैदल ही चल पड़ा। करीब 118 किलोमीटर की पैदल यात्रा करना युवा दंपती के लिए बहुत मुश्किल नहीं था। लेकिन नवजात बच्चे का ध्यान रखते हुए उन्होंने जुगाड़ किया। बच्चे को ट्रॉली बैग में लिटाया और पदयात्रा पर निकल पड़े
मामला भीलवाड़ा जिले का है। दंपती भीलवाड़ा शहर के 31 किलोमीटर दूर बागोर इलाके के एक गांव के रहने वाले हैं। वे भीलवाड़ा से करीब 75 किमी दूर जोगणिया माता के दर्शन के लिए बागोर से निकले हैं। रविवार को सड़क पर ट्रॉली में बच्चे को ले जाते देख अन्य पदयात्री और भंडारा लगाने वाले लोग भी आश्चर्यचकित हो गए।
लंगर में भोजन किया, फिर बच्चे को लेकर निकल पड़े
रविवार को भीलवाड़ा के सदर थाना के पास लगे एक अस्थाई लंगर में कुछ देर प्रसाद पाने यह दंपती रुका। इस दौरान लंगर के आयोजक लखन सोनी ने इस मासूम बच्चे का ट्राली में लेटे हुए फोटो वीडियो बना लिया।
लखन सोनी ने बताया- हम दस साल से नवरात्र में यहां भंडारा लगाते हैं। यार दोस्त परिवार वाले और रिश्तेदार सभी सेवा देते हैं। 10 साल में मैंने पहली बार देखा कि एक एक दंपती अपने नन्हे बच्चे को टॉली बैग में लेकर जोगणिया माता की पदयात्रा पर निकला है।
मन्नत मांगी थी, नंगे पैर बच्चे को लेकर आएंगे
ये लोग सुबह लंगर प्रसाद लेने आए थे। तब उनसे बात हुई थी। उन्होंने माता से संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी थी। मन्नत में संतान होने पर नंगे पैर आकर बच्चे को आशीर्वाद दिलाने वाने का संकल्प किया था। पदयात्रा के दौरान उन्होंने चप्पल जूते नहीं पहने थे। वे नंगे पैर ही माता के दरबार में जा रहे थे। 12 साल बाद उनकी मनोकामना पूरी हुई थी। वे लोग बागोर इलाके के किसी गांव के रहने वाले थे।
हालांकि छोटे बच्चे को ट्रैफिक के बीच रोड पर इस तरह से ट्रॉली बैग में लेकर चलना रिस्क है। यहां रात में ट्रैफिक अधिक रहता है। कहीं कहीं लाइट भी नहीं होती।
हालांकि माता-पिता बच्चे को इस तरह जुगाड़ कर ले जाते हुए काफी खुश थे। मैंने उनका वीडियो बनाया। प्यारा बच्चा था। नवरात्र में पहली बार ये बच्चे को लेकर माता के दरबार में जा रहे थे। दंपती बागोर स्थित अपने घर से शनिवार शाम को रवाना हुए थे। रविवार सुबह भीलवाड़ा पहुंचे। सोमवार शाम तक माता के दरबार में जोगणिया माता मंदिर पहुंच जाएंगे।