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मुख्यमंत्री ने संभाग मुख्यालय के जिले भरतपुर को भरतपुर विकास प्राधिकरण (बीडीए) बनाने का ऐलान कर दिया है, लेकिन झमाझम बारिश के बाद फेल सिस्टम की बानगी सबके सामने है। शहर का आधा हिस्सा पानी में डूबा नजर आ रहा है। पानी के बीचोंबीच खड़े मकान इसकी गवाही दे रहे हैं। लोग अपने आशियानों को छोडकऱ अन्यत्र शरण लेने को विवश हैं। अब प्रशासन लोगों की तकलीफ देखने पहुंच रहा है, वह भी सिर्फ बेबसी के साथ। न प्रशासन के पास पानी को निकालने के इंतजाम हैं और न ही तत्काल राहत देने की कोई तरकीब। ऐसे में लोग अपने हाल पर हैं।
शहर में आए दिन होने वाले अतिक्रमण, नाले-नालियां नहीं बनने और उनकी बेहतर सफाई नहीं होने के साथ शहर में बेतरतीब सीएफसीडी के कार्य ने लोगों को मुश्किल में डाल दिया है। एक दर्जन से ज्यादा कॉलोनियां पानी में डूबी पड़ी हैं। लोग घरों में घुसे बारिश के पानी को मोटर के जरिए बाहर निकालने के जतन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल पा रही है। बच्चों को स्कूल तक जाने के लिए रास्ता नहीं है। लोग खाने-पीने के इंतजाम के लिए सिर पर सिलेंडर रखकर ले जा रहे हैं। बारिश के पानी के कारण न लोगों के घर तक साधन जा रहे हैं और न ही उनके खुद के वाहन घरों से निकल पा रहे हैं। ऐसे में लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हो रहे हैं। प्रशासन ने राहत के नाम पर सिर्फ पंपसेट लगाए हैं, जो नाकाफी हैं।
छह दिन से घरों में कैद हैं लोग
शहर की गणेश नगर कॉलोनी में पिछले पांच दिन से करीब चार फुट पानी भरा हुआ है। स्थानीय निवासी मुन्नालाल शर्मा ने बताया कि जिम्मेदार अधिकारी फोन तक नहीं उठा रहे हैं। शर्मा ने रविवार को जिला कलक्टर को इस संबंध में अवगत कराया तो यूआईटी के जेईएन ने फोन कर हालात जाने। शर्मा ने बताया कि सोमवार को स्थानीय निवासी रविन्द्र प्रताप शर्मा आदि ने चामण मंदिर अनाह की मोरी को देखा, जो रियासतकालीन बनी हुई है। यदि जयपुर वाली मेन रोड से उसके बगल में एक फीट गहरा कच्चा नाला निकाल दिया जाए तो कॉलोनी से करीब दो-ढाई फीट उतर जाएगा, लेकिन प्रशासन नाला खुदवाने की बजाय एक ट्रैक्टर से पानी निकालने का नाकाम प्रयास कर रहा है। लोगों का आरोप है कि यहां आईटीआई के बगल में एक शोरूम बनाकर यहां मिट्टी डालकर ऊंचा कर दिया है। इससे पीछे का पानी रुक गया है। इससे यहां बच्चों के डूबने का खतरा बना हुआ है।